यादें

यादें

1 min
571


स्कूल से हॉल्फ टाइम की छुट्टी मार के पहले के सिनेमा घरों मे जाते ही वो बुकिंग काउंटर पे लंबी लाइनों के होने के बावजूद भी टिकट ले लेना !

टिकट मिलते ही ऐसा लगता था मानो कोई जंग जीत के आये हैं और अंदर जाते ही सन्नाटा सा छाए हुए उस हॉल मे मच्छरों का वो लगना, वो कोने मे गुटखें और पानों के लाल से धब्बों का होना, वो प्लास्टिक और लकड़ियों की कुर्सियों पे हल्का सा गदे का होना, वो हीरो की एंट्री और एक्सन सीनों पे सीटियों का बजना, वो इंटरवल टाइम मे जल्दी-जल्दी टॉयलेट जाते हुए फिर जल्दी-जल्दी लौट के अपनी सीट पे बैठना !

कसम से आज भी ये एहसास दिलाता है कि इन थियेटर और मॉल से कहीं ज़्यादा सुकून और मजेदार वो समय हुआ करता था !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics