मन के भावों को शब्दों नें पिरोना ,शब्दों की अभिव्यक्ति के लिए, पाठकों को खोजना,उनके भावों को सहेजना।
Share with friendsऐसा लग रहा था कोई चिल्ला-चिल्ला कर हमारे कानो में कह रहा है -----बिना खंजर के हत्यारे।
Submitted on 05 May, 2019 at 07:13 AM
तुम समझ गईं न मेरी ‘वी ‘,मेरी ‘वीना,’ मेरी वैलेंटाइन। तुम्हारा सिर्फ़ तुम्हारा जी, एजी, ओजी अजीत।
Submitted on 02 May, 2019 at 12:59 PM
सार्वजनिक स्थलों पर लोगों का आचरण, कुछ भिन्न सा होता है। ऐसा लगता है वहाँ खुदे हुए निर्देशों या उद्घोषणा का यदि वे पालन ...
Submitted on 25 Sep, 2015 at 08:22 AM
बच्चे भोले होते हैं। कभी -कभी इनका भोलापन जीवन के कठिन से कठिन समय को सहज बना देता है। काश हम हमेशा बच्चे रहते।
Submitted on 17 Sep, 2015 at 15:43 PM
बचपन में माता -पिता , अपनी इच्छाओं का दमन करके ,हमारी हर इच्छा पूरी करने की कौशिश करते हैं। लेकिन जब वह बूढ़े हो जाते हैं...
Submitted on 16 Sep, 2015 at 09:29 AM
जिंदिगी में ख़ुशी और गम की धूप - छाँव चलती रहती है। संसार में सबसे बड़ा दुःख है ,अपने किसी प्रियजन को खोना। बचपन की फुलवार...
Submitted on 14 Sep, 2015 at 07:26 AM
आधुनिक जीवन शैली में ,विदेश में नौकरी समाज का अभिन्न अंग बन चुकी है। पुराने सामान की तरह बूढ़े माँ -बाप को भी अपने साथ व...
Submitted on 08 Sep, 2015 at 11:24 AM