कुलीन लड़की
कुलीन लड़की
सोनल बाल झटकती गुर्राने लगी, देव के एक वाक्य पर की चलो मेरी दुनिया में यहाँ तुम्हारा क्या काम,
सड़ा रही हो अपनी सुंदरता और जवानी हल्के विचारों वाले समाज में..! सुनो देव मेरी भी एक दुनिया है, उसूल है, परिवार है, जहाँ मैं पली बड़ी, नैतिक मूल्यों से परे कैसे जोड़ लूँ खुद को तुमसे..! तुम्हारे दोगले सभ्य समाज की कठपुतली ही कहलाऊँगी।
तुम्हारे अल्फ़ाज़ों से भी एैश्वर्य और अहं की बू आती है..! ये जो तुम नाक सिकोड़ कर बोले ना वो ही दर्शाता है मेरी दुनिया के लिए तुम्हारे दिल का हाल, कहीं कुलीन को चुनना तुम्हारी मजबूरी तो नहीं ? महज मोह ही तो नज़र आता है मेरी गोरी चमड़ी और कातील नैन नक्श का, उपर वाले ने सुंदरता से नवाजकर धनाढ्य बनाया मुझे, तो क्या हुआ नीचे कूल के भी कुछ अपने उसूल होते है साहिब..!
मेरे समाज में भी कद्र है मेरी, आपकी तरह आलिशान आशियाने ना सही इत्तर गुणों से संपन्न और तमीज़ से लबालब शख्सियत की मालकिन हूँ , मेरे समाज जितने सच्चे और सही लोग शायद ही तुम्हारी दुनिया में मिले..!
हाँ बन सकती हूँ तुम्हारा आंतरिक लिबास तुम्हारे दिखावे से सजी दुनिया की शोभा बढ़ा सकती हूँ, कह सकते हो तुम शान से मीट माय वेरी ब्यूटीफुल एन्ड वेरी प्रिटी वाईफ़..।
मुखौटों की दुनिया की महारानी बनाने की सोच रहे हो, नंगा चेहरा ही आदत है मेरी, दिल के भाव स्पष्ट दिखने चाहिये, क्या तुम्हारे दिल पे मेरा राज रहेगा ? तुम्हारी आंतरिक परिभाषा से मेल जो नहीं मेरा, अखरता जो है मेरा कुलीन होना..!
प्यार है तुमसे आख़री साँस तक रहेगा, चल भी पड़ती तुम्हारे साथ अगर मेरी पुरी दुनिया के साथ मुझे अपनाते,
ये सुंदरता में मेरा कोई हाथ नहीं, माँ बाप की देन है जन्म दिया है, उसे छोड़कर कैसे चल पडूँ अपने स्वार्थ के लिए महज किसी का महल सजाने झोंपड़ी को जला दूँ इतनी बेगैरत तो नहीं मैं..!
महफ़िलें सजाने का शौक़ नहीं रखती घर की शोभा और तुम्हारे दिल की शोभा ज़रुर बढ़ाती अगर इज्ज़त से मांगी होती मेरी चाहत, तुमने तो सौदा ही कर ड़ाला मेरी दुनिया से तुम्हारी दुनिया का॥