Bhavna Thaker

Others Tragedy

5.0  

Bhavna Thaker

Others Tragedy

मासूम कातिल

मासूम कातिल

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देहरी पे बैठकर पसीना पोंछते आँखें मूँदे चंदा एक अकथ्य शांति के संचार में डूब गई, बरसों से जल रहे दिल के ज्वालामुखी पर मानो शीतलहर छा गई हो..! अंगारे बुझ गये असंख्य एहसास ढ़लते रहे आँखों से गालों पर बहते, मानों विष का प्याला खाली हो गया..!

सीने पर लौटते कीड़े का कत्ल कर नर्म मुलायम हाथ देखते मुस्कुराते झटक दिया हाथ, गर्व से हाथ चूमे, दिल को शाबाशी दी, हौसलों की पीठ थपथपाई, सोचती रही ख़ाँमख़ाँ सहती रही सालों,आज जा के कुछ जलकर ख़ाक़ हुआ कोयले सा अतीत बिखर गया दिल के बोझ सा..।

कतरा कतरा हिसाब किया जो मिला था, कुछ घाव ठिठक गए कुल्हाड़ी थककर चूर ना होती तो शायद उनसे भी न्याय कर देती, गाड़ दिये कतरे नापाक गुनहगार के खुद का ही खून बहा दिया जो घूँट घूँट पीया था बरसों से उसने..। जश्न मनाते आसमान से ख़ुशियाँ बेमौसम बरस पड़ीं, लो बहाना मिल गया दोहरे एहसास वाले आँसू छलक गये, कुछ शांति के कुछ गुनाह के,था तो पापी वो पर कत्ल गुनाह ही हुआ..।

अभी कुछ नहीं सोचना बारिश संग आँसू बहाते सुकून के निश्चल पल जी रही थी, चीख नहीं सकती पानी संग पानी बहाती चली, आज पीड़ा को दर्द के पुर्जे का भोग लगाया। एक लाश भीतर बिलखती तड़पती शांत हुई

एक कमरे के बीचोंबीच..।

अट्टहास्य की गूँज से लाश भी थर्रा उठी,अंजाम से अनजान मासूम के हाथों मारा गया आज एक वहशी बलात्कारी पति, चद्दर धो ली, साड़ी धो ली सब रंग छूट गये वक्ष पे पड़ा काला और गाल का नीला शायद ताउम्र ना छूटे, पर जान तो छूटी आज।

हाहाहा विधवा चंदा सुकून से सो गई बरसों के रतजगे का हिसाब जोड़ती लाश की परवाह किसे अब..।

एसी नींद पहले कभी नहीं आई, चुटकी सिंदूर के बदले गिद्ध नोंचता रहताा था बगैर एहसास की लाश के तन को, मासूम चेहरे पर शांति ठहर गई बरसों बाद॥


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