Bhavna Thaker

Comedy

3.4  

Bhavna Thaker

Comedy

पतिदेव की पसंद

पतिदेव की पसंद

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हाए आज रविवार की छुट्टी मतलब अलसायी सुबह ८ बजे तक सोने में क्या मजा है यार,

अरे पर आज मेरे पतिदेव नींद में ये क्या बड़बड़ा रहे हैं,

तू मेरी जान है, मेरी रानी है, मैं तेरे बगैर नहीं जी सकता, तू कभी मुझे छोड़कर मत जाना I आई लव यू सो मच!

क्या बात है मैं इनके इस रुप से तो वंचित ही रही, ज़रा मुँह तक कान ले जाकर सुना,

मैं तेरे लिए पागल हूँ जान,

उई माँ मैं तो शर्म से पानी-पानी हो गई, होंठों पर मुस्कान छा गई ये मुझ से इतना प्यार करते है ? झट से आईने के सामने गई बाल ठीक किए, ब्रश करके मुँह धोकर फ़टाफ़ट चाय बनाई।

मेरे तो मन में लड्डू फूट रहे थे, खुद को रानी महसूस कर रही थी, कितनी खुशनशीब हूँ जो मेरे पति मुझसे इतना प्यार करते हैं..!

आज तो इनको उसके फेवरिट चीज़ पकोड़े बनाकर खिलाऊँगी, बस अब से लड़ना बंद, ताने देना बंद, मैं भी उतना ही प्यार दूँगी जितना ये मुझको करते हैं।

हाये दिल धक-धक करने लगा देखो ना सपने में भी जता रहे है प्यार बेचारे..!

एक मैं हूँ जो इनको पहचान ना पाई।

हाँ और नहीं तो क्या, कितने भोले है बेचारे आँख भर आई मेरी, हर एक सितम याद करके,

अरे यार जो मैं किया करती थी, अब तो बस मैं ओर वो बड़े प्यार से रहेंगे।

ना बर्तन तो कभी नहीं धुलवाऊँगी उनसे, कपड़े भी मैं ही सूखा दिया करुँगी, वही तो बदन दर्द के बहाने पीठ दबवाती रही तो कभी सरदर्द के बहाने तेल मालिश करवाती रही, ये तो ये बेचारे भोले है इतना प्यार जो करते हैं मुझसे तो कभी किसी बात का मना नहीं करते..!

पर ना अब से इनको हर काम से आज़ादी एक ही काम करना होगा बस मुझ से प्यार,

थोड़ा काजल लिपिस्टिक लगाकर चाय वाय लेकर बंदी पहूँच गई प्रियतम को जगाने। बेसिन में बाल गीले किए ओर बड़े प्यार से छिड़क दिये इनके मुँह पर,

तो ये नींद में ही बड़बड़ाते उठ खड़े हुए- अरे मेरी मधु आजा मेरी बाँहों में, बारिश में नहाते हैं दोनों, वाह तेरे आते ही मौसम बदल गया, देख आसमान भी खुश है हमारे मिलन सेे,

गई भेंस पानी में, बाल बिखेर दिए मैंने, पल्लू बाँँध लिया कमर पे, आँखों से अंगारे बरस ने लगे,

असली बारिश तो अब होगी,

ओह तो ये सारा प्यार अपनी फेवरिट माधुरी दीक्षित के लिए था,  ठीक है बच्चू आज तो बर्तन भी एक्स्ट्रा होंगे ओर कपड़े भी।

चाय जाकर पीओगे गली के नाके की किटली पर ओर नास्ते में सड़ी हुई ब्रेड के जले हुए टोस्ट ओर लंच में टींडे।

होता है यार मन ही मन उनकी भी पसंद होती होगी, तो क्या हुआ की नींद में उनकी फेवरिट माधुरी है जागते हुए तो तेल मालिश मेरी ही करनी है,

बदन तो मेरा ही दुखता है टींडे भी तो मैं ही खिलाऊँगी प्यार जो करती हूँ इतना अपने भोले भाले पतिदेव से।


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