वो आसमान छूना चाहता है

वो आसमान छूना चाहता है

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ज़िंदगी की हर शै भाति है लुभाती है एक २५ साल के लड़के को..!मचलती आरज़ू खड़ी है बाँहें पसारे हर लड़के के भीतर खुशनुमा ज़िंदगी का सपना लिए, २१ वी सदी का लड़का मेहनत की सीढ़ी चढ़कर अपने बलबूते पर आसमान छूना चाहता है..अपने ही दायरे से लिपटे मनमानी करना चाहता है,खुश रहना चाहता है, जीना चाहता है अपने तरीके से बिना किसी ओर की तरह बने मैं में रहकर,ना कुछ कहना ना कुछ सुनना बिना किसी हमसफ़र के यायावर सा..!तपती धूप में या बर्फीली छाँव में भटकना चाहता है ज़िंदगी की चुनौतियों से दूर..!ब्रेकअप चाहीये ना सेटिंग ना सलमान की अदाएँ ,एक ज़िंदगी एैसी भी जीना चाहता है,बस घुमना है पर्वतों की वेलीयों में झील से मछली उड़ाकर तलकर खानी है..!

टाँग वाली चिकन खाते कैंप फ़ायर की आग तापे गाड़ी में म्यूज़िक सिस्टम का शोर सुनते तनमन से झुमना है..!गोआ के तट पर बरसती बरसात में बियर के मज़े उड़ाते बाल झटककर, धूम सी बाईक को रफ़्तार से भगाते रोमांच का मजा लेना चाहता है,कुछ अज़ीज़ दोस्तों को गले सलगाकर कहना चाहता है love u dost...!hangover की मस्ती में उठते सुबह कोफ़ी की चुस्की संग रविवार को बिस्तर पकड़कर पड़े रहना चाहता है..!हाँ पढ़ना भी चाहता है कुछ बनना भी चाहता है, किसी ओर की पसंद नहीं अपनी चोईस से,

अपने बलबूते पर, अपनी मर्ज़ी से खुद को तराशना चाहता है,एक लड़का अपने तरीके से अपने हर पल जीना चाहता है..!ज़िम्मेदारी के बोझ से काँधे झुक जाए उसके पहले 

कुछ लम्हों का हक़ मांगते॥



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