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Radha Shrotriya

Horror Fantasy

3  

Radha Shrotriya

Horror Fantasy

कुलधरा_का_रहस्य (हॉरर कहानी)

कुलधरा_का_रहस्य (हॉरर कहानी)

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मुरलीधर जी कुलधरा गाँव के मुखिया हैं इनकी बेटी हँसा में इनकी जान बस्ती है कितनी ही पीढ़ियों के बाद इनके कुल में कन्या ने जन्म लिया!हँसा इतनी रूपवती है कि जो एक बार उसे देखे वो अपनी पलकें झपकाना भूल जाए.. बड़ी बड़ी पलकें बड़ी बड़ी सुंदर कजरारी आँखें!मुरलीधर जी तो ईश्वर को बार बार धन्यवाद करते.. कहते हँसा को अपनी बेटी के रूप में पाकर उनका जीवन धन्य हो गया! चौदहवीं के चांद की तरह हँसा दिनो दिन बढ़ रही थी! 


उसकी सारी सहेलियाँ जब तक वो न आती उसके इंतज़ार में बैठी रहती! घर से थोड़ी दूर एक बगीचा था उसमें एक बाबड़ी थी/ उस बाबड़ी से लगा पीपल का बहुत पुराना बड़ा सा पेड़ था जिसकी छाया बाबड़ी पर पड़ती हवा चलती तो बाबड़ी में पत्ते हिलते दिखते! कोई परिंदा बैठता तो उसकी छायां बाबड़ी में दिखती.. मोर, तोते, और तरह तरह के परिंदे इस बगीचे में थे.. लड़कियाँ यहाँ पर आकार खेला करती थीं! 


पूर्णिमा का दिन था.. सुबह से ही हँसा का पेट दुख रहा था! उसका उठने का बिल्कुल भी मन नहीं था.. माँ रुक्मणी जी ने बिटिया को लाड़ लड़ाकर उठाया मेरी चिड़कली, मेरी सोन परी जल्दी से उठ खीर, मालपुआ बनाया है! हँसा जल्दी से उठकर नहा धोकर तैयार हो जाती है आज उसने अपने पसंद की लाल फ्राक पहनी उसकी माँ ने उसमें साटन के सफेद फूल टाँके हुए थे!

रुक्मणी जी : अरे वाह... 'म्हारी लाड़ों घणी चोखी लाग री से'उसकी बलाएं लेती हैं !"चल जीम ले जल्दी से.." 


हँसा : "माँ सा बहुत चोखी है खीर उंगलियों से चाटती है और खेलने जाने लगती है..!"

उसकी माँ आवाज लगाती है बेटा झूठे मुँह नहीं जाते और सफेद चीज खाकर तो बिल्कुल भी नहीं सुनते हैं भूत लग जाते हैं..!


हँसा : हँसते हुए तो"माँ सा आज भूत लग ही जाने दो!" और हँसते हुए खेलने भाग जाती है.. आज देर से उठी थी वो, उसकी सहेलियाँ उसका इंतजार कर रही होंगी सोचती है, वहीं बाबड़ी में मुँह धो लूँगी!बगीचे में सारी सहेलियाँ उसे देखकर खुश हो जाती हैं!देर से क्यूँ आई एक ने पूछा.. 


हँसा : "मेरे पेट में दर्द हो रहा है.." 


सखि : "ये वो बाला दर्द तो नहीं है..? "


हँसा :" कौनसा वाला?" 


आउच.. "क्या हुआ" 


"मेरा पेट जोर से दुख रहा है!तुम लोग खेलो में बाबड़ी से हाथ मुँह धोकर आती हूँ!" 


सीढ़ीयां उतर कर नीचे जाती है बाबड़ी के साफ पानी में पीपल के पेड़ के हिलते हुए पत्ते बहुत सुन्दर लग रहे थे हँसा उन्हे देखती है और तभी उसे तोते की परछायी दिखती है! वो खुश होकर ऊपर देखती है तोता बहुत प्यारा था जैसे ही तोते ने हँसा को देखा वो मिट्ठू मिट्ठू बोलने लगा हँसा ने उसे लाड़ से बेटू.. बेटू चित्रकोटि बोला.. तोता उड़कर उसके पास आ गया हँसा ने खुश होकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके सर पर हाथ फेरने लगी तभी उसकी सहेलियों ने आवाज़ लगाई..हँसा तोते को हाथ में पकड़कर उठी उसको लगा उसकी फ्राक पानी से भीग गयी है हाथ लगाकर देखा तो उसके हाथ लाल हो गए ड़रकर तोते को वहीं छोड़ कर जल्दी से ऊपर आकर अपनी सहेलियों को दिखाया.. सहेलियाँ चिढ़ाने लगी अब तो हँसा बड़ी हो गई है! 


उनके परिवार में जब लड़की पहली बार रजस्वला (पीरियड) से होती तो उसे तैयार कर उसकी पूजा की जाती अच्छे अच्छे पकवान बनते पास पड़ोस की महिलाएं इक्ट्ठा हो उत्सव मनाती अब लड़की शादी के लायक हो गई और जिस घर जाएगी उसके वंश को आगे बढ़ाएगी! 


हँसा की फ्राक का रंग लाल होने की वजह से इतना पता नहीं चल रहा था पर साटन का सफेद फूल माहवारी से होने वाले रक्तस्त्राव की वजह से लाल हो गया था! घर चल हँसा.. तोता उसे जाते देख मिट्ठू मिट्ठू करने लगा! 


हँसा की माँ ने हँसा के इतनी जल्दी घर आने पर पूछा क्या बात है आज सारी शैतान मंडली यहाँ हँसा : माँ के पास जाकर रोने लगती है! रुक्मणी जी घबरा जाती हैं "क्या हुआ लाडो..? "


हँसा की सखि :"चाची जी हँसा महीने से हो गई है इसकी फ्राक खराब हो गई इसलिए रो रही है!" 


रुक्मणी जी : हँसा को प्यार से देखती हैं मेरी हँसा अब समझदार हो गई है.. ये तो खुशी की बात है लाडो ये माहवारी ही तो औरत को एक नए जीवन को जन्‍म देने की सामर्थ्य प्रदान करती है ये तो अपने आप को खास महसूस करने का समय है! नो महीने एक नन्ही सी जिंदगी को कोख में रखने और उसे जन्म देने का दायित्व कुदरत ने औरत को ही दिया है आज से तुममें सृजन करने की क्षमता आ गई है अब से तुम्हें अपने को संभाल के रखना होगा अपने रूप योवन को ढंक कर रखना होगा!  बुरी नज़रों से खुद को बचाकर रखना होगा.. अब तुम बच्ची से एक समझदार स्त्री बन गई हो..! पना अच्छा, बुरा, ऊंच, नीच, का ध्यान तुम्हें खुद रखना होगा! ये पुरुषों की दुनियां है.. रूप योवन के प्यासे भँवरे से ये सुंदरता के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और फिर यही वजह कई बार बड़े झगड़े का कारण बन जाती है!


हँसा :" समझ गई माँ सा!"


रुक्मणी जी ने सब लड़कियों को खीर और मालपूए खिलाती हैं तब तक हँसा भी आ जाती है!माँ हँसा को गरम दूध में हल्दी डालकर पीने को देती हैं! 

इससे तुम्हें दर्द में आराम मिलेगा जाओ अब आराम करो..! सब सहेलियाँ अपने घर को जाती हैं! हँसा अपने कमरे में आकर लेट जाती है उसे बाबड़ी वाला तोता याद आ जाता है कैसे वो उसके पास आ गया था!तोता इस पीपल के पेड़ पर न जाने कब से रहता है.. जब उसने हँसा को देखा तो उसका दिल हँसा पर आ गया!सालों पहले की बात है कुलधरा के पास के गांव की लड़की कमला से इसे प्रेम हो जाता है और लड़की भी इसे प्रेम करने लगती है जब इनके परिवार वालों को पता चलता है तो इनका घर से निकलना बंद कर देते हैं!एक दिन लड़का राजू बड़े जतन से अपने दोस्त की बहन से एक चिट्ठी कमला तक पहुंचा देता है और उसमे पूर्णिमा की रात को इस बगीचे में मिलने आने का लिखता है! लड़की घरवालों के सोने के बाद चुपचाप घर से निकल कर बगीचे में आ जाती है! दोनों बात करते हैं कि मंदिर में शादी करके हमेशा के लिए यहाँ से दूर चले जाएंगे!कमला को घर से निकलते हुए उसका भाई देख लेता है जल्दी में चिट्ठी कमला के हाथ से घर के दरवाजे के पास गिर जाती है! उसका भाई जब पढ़ता है तो वो आस पास के लोगों के साथ राजू को मारने पहुंच जाता है! राजू छोटी जाति का था कमला ब्राह्माण थी! बगीचे में पहुंच कर वो लोग दोनों को पकड़ लेते हैं! कमला का भाई राजू को बाबड़ी में धक्का दे देता है! दूसरे दिन लोंगो को बाबड़ी में राजू की लाश मिलती है.. 


किसी को भी पता नहीं चलता राजू कैसे डूबा सबने अंदाजा लगाया पैर फिसलने से गिरा होगा तबसे राजू भूत बनकर भटक रहा है! पूर्णिमा को वो इस बाबड़ी के पास आता है और पीपल के पेड़ पर पूरा दिन रहता रहता है और चला जाता है..! आज राजू ने हँसा को देखा तो हँसा पर उसका दिल आ गया!हँसा के बापू पुजारी थे वो सुबह ही मंदिर चले जाते थे! अब से रुक्मणी जी ने सहेलियों के साथ कुएँ, बाबड़ी पर जाकर खेलने के लिए मना कर दिया.. बोली घर गृहस्थी के काम भी सीखो कल को शादी ब्याह होगा तो क्या करोगी! गाँव में मेला भरा दूर दूर से व्यापारी अपनी दुकान लगाने आए हँसा अपनी सहेलियों के साथ मेला देखने गई! रास्ते में गाँव के दीवान सालिम सिंह की नज़र हँसा पर पड़ी वो उसका रूप योवन देखता ही रह गया आस पास के 84 गाँवों में इतनी सुन्दर लड़की उसने नहीं देखी थी! सालिम सिंह रात को जब सोया तो हँसा की हँसी से उसकी नींद खुल गई! उठा तो देखा सब सो रहे हैं! उठते बैठते हँसा उसकी आँखों से ओझल ही न होती! उसने पुजारी जी से हँसा का हाथ मांगा. 


मुरलीधर जी :" तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है सालिम सिंह शादी शुदा होते हुए एक बच्ची पर तुम्हारी नियत खराब हो रही है.. शरम आनी चाहिए तुम्हें पहले से ही सात पत्नियां हैं और अब भी शादी की तमन्ना है तुम्हारी! '"


सालिम सिंह : "अच्छा नही होगा पुजारी.. अब भी सीधे से बोल रहा हूँ हँसा का हाथ मेरे हाथ में दे दे.. नहीं तो सारे गाँव वालों का जीना दूभर कर दूँगा..लगान चुकाते चुकाते मर जाओगे सारे! "


मुरलीधर जी : "जो दिखे सो कर मेरी बच्ची की तरफ आँख उठाकर नहीं देखना!"


गुस्सा में तम तमाता हुआ सालिम सिंह चला गया! 

मुरलीधर जी मंदिर बंद करने के बाद घर आए.. रुक्मणी... रुक्मणी.. 

क्या हुआ सा.. "इतने परेशान क्यूँ हो आप?"

 

"हँसा कहाँ है..?" 


"हँसा तो अपनी सहेलियों के साथ मेला देखने गई है! "


"रुक्मणी जी अब हँसा को अकेले बाहर मत भेजा करो"


सालिम सिंह से हुई सारी बातें रुक्मणी को बताते हैं.. रुक्मणी बोलती है आप सभी समाज के लोगों की पंचायत बुलाओ! ये बात तब की है जब राजस्थान में राजा महाराजाओं का राज्य था! गए हैं पर पहले ये ऐसा नहीं था! ये गाँव पालीवाल ब्राह्मणों का था 1921 में पालीवाल ब्राह्मणों ने इसे बसाया था! कुलधरा के अलावा पास के 84 गाँव भी इन्ही के थे.. ये सभी बहुत सम्पन्न और समृद्ध थे! सिंध (पाकिस्तान) से भी इनके व्यापारिक संबंध थे! गाँव का आर्किटेक्चर बहुत ही अच्छा था.. चोड़ी सड़के पानी की सप्लाई की व्यवस्था सब ही उन्नत किस्म की थी! अपनी मेहनत से इन लोगों ने 500 साल तक इस गाँव का वर्चस्व बनाये रखा! पर अब बात मान सम्मान की थी! 


रात को महा पंचायत में मुरलीधर जी ने जो सालिम सिंह ने कहा था वो बताया सभी का निर्णय था कुछ भी हो हमारी बहन बेटी पर हम आंच नहीं आने देंगे पर गाँव के सभी सदस्य आसपास के 84 गाँव भी इसे छोड़ देना चाहते थे पर ये इतना आसान नहीं था.. सब ने अंदर से गुप्त रास्ते बनाने शुरू कर दिए और एक रात में सारा गाँव खाली कर दिया गया.. पर जाने से पहले उन्होने इस गाँव को श्राप दिया कि ये गाँव अब कभी आबाद नहीं होगा जो भी यहाँ बसने की कोशिश करेगा कुछ न कुछ अनहोनी उसके साथ घटेगी और मजबूर होकर उसे ये गाँव छोड़ना पड़ेगा! 


सालन सिंह सुबह जब निकला गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था मंदिर थे मूर्तियाँ नहीं घर थे लोग नहीं !


रामू (भूत) ने देखा कि हँसा घर में नहीं है.. उसने सालिम सिंह को परेशान करना शुरू कर दिया उसके सामने अचानक से तेज हवा चलने लगी बड़े बड़े पत्थर के टुकड़े उसके ऊपर गिरे वो भागने की कोशिश कर रहा था उसे लगा किसी ने उसे बांध दिया है थोड़ी देर बाद सब पहले जैसा हो गया उसने खुद को देखा वो बिल्कुल ठीक था तभी उसे हँसा के हँसने की आवाज़ सुनाई दी वो उस आवाज़ के पीछे पीछे गया तभी हँसी की आवाज़ आना बंद हो गई और डरावनी आवाज़े आने लगी कुत्ते के रोने की आवाज सियारों की हुआ हुआ की आवाज सालिम सिंह उल्टे पांव भागा तभी उसे घुँघरू की आवाज सुनाई दी वो पीछे पलटा तो एक डरावना सा आदमी देख कर भागा और ठोकर खा कर गिर गया! 


राजू ने हँसा के जाने के बाद किसी को भी इस गाँव में नहीं आने दिया जो भी आता उसे वो इतना डराता की वो उल्टे पांव भाग जाता..! 


एक बार जैसलमेर घूमने आए तीन दोस्तों को जब कुलधरा के बारे में पता चला तो उन्होंने रात में रुकने का इरादा कर लिया शाम में ही एक खंडहरनुमा मंदिर में ठहर कर वो लोग रात का इंतज़ार करने लगे.. रात के 12 बजे के करीब उन्हे लगा उनके आस पास ढेर सारे लोग हैं साँस लेने में उन्हें तकलीफ होने लगी! 


तभी तेज हवाएं चलने लगी और अजीबो गरीब सी आवाज गूंजने लगी ये लोग दम रोके खड़े रहे कुछ देर में सब सामान्य हो गया तभी किसी की आवाज सुनकर पलटे राजू भूत था उसने बताया की वो हँसा को चाहता था उसके जाने के बाद से किसी को भी यहाँ बसने नहीं दिया! 


'तुम लोग देखने आए हो इसलिए तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाया तुम लोग वापिस लौट जाओ!.. '


"अब राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया है.. दिन में लोग आराम से घूमते हैं पर रात में अब भी भानगढ़ की तरह यह जगह रहस्यमय है..!"



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