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Horror Thriller

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गुलाब - एक मर्डर मिस्ट्री 3

गुलाब - एक मर्डर मिस्ट्री 3

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कहानी सत्य घटना पर आधारित है एवं मेरे सामने घटित हुई घटनाओं अथवा विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी पर आधारित है | कल्पना का इस्तेमाल सिर्फ उतना ही है जितना कहानी की निरंतरता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है 


1. गुलाब 

2. विवाद

3. भूत


गुलाब की मृत्यु हो चुकी थी और इस घटना को काफी वक्त गुजर चुका था । परंतु जो विवरण मुझे मेरे घर वालों से हासिल हुआ उससे यही महसूस हो रहा था की शायद गुलाब की हत्या कर दी गई और उसका अंतिम संस्कार भी जल्दबाजी में कर दिया गया । संभव है हत्या करने के पश्चात पकड़े जाने का डर रहा हो इसलिए जल्दी से शव को समाप्त कर दिया गया हो ।


हालांकि हालात हत्या की तरफ ही इशारा कर रहे थे । यहां तक कि गुलाब की मां से मेरी मां की बातचीत भी इस तरफ इशारा कर रही थी परंतु सच कैसे जाना जाए और वो भी इतने वक्त के बाद ?


वैसे तो मैं बिल्कुल ठंडे स्वभाव का व्यक्ति हूं परंतु अगर उत्सुकता जाग जाए तो नींद आना भी बंद हो जाती है । बहुत पहले की बात है मैं एनीमेशन वीडियो बनाना सीख रहा था , एक दिन एक मसले में थोड़ा दिक्कत आ रही थी तो उसे अगले दिन के लिए छोड़ दिया । खाना खाते वक्त आइडिया दिमाग में आया और फिर रात तकरीबन 2 बजे तक काम समाप्त करके ही सोने गया । परंतु सो नहीं पाया और एक बार फिर से उठ कर एनीमेशन वीडियो चला कर देखा और फाइनल करके ही शांति हासिल हुई । कई बार ऐसा हो चुका है जब किसी काम में दिमाग अटक जाए तो नींद तक गायब हो जाती है ।


गुलाब की हत्या भी दिमाग के किसी कोने में अटक गया । रहस्य कैसे हल किया जाए मुझे पता नहीं लिहाजा सीधे बहन से ही बात करने का निश्चय करके उसके शहर की तरफ रवाना हो गया । हालांकि उम्मीद कम थी बहन से कोई सही जवाब मिलेगा परंतु फिर भी शांति के लिए जाना और पूछना जरूरी हो गया था ।


यह अपेक्षा करना की बहन से पूछा जायेगा और वो सच बता देगी अपने आप में मूर्खतापूर्ण विचार था परंतु फिर भी मैं पूछने के लिए पहुंच गया । कहना मुश्किल है की पूछने से पहले मेरी तरफ से कितनी मेहनत लगी परंतु जवाब वैसा ही मिला जैसा की अपेक्षित था । बहन ने हत्या से स्पष्ट इंकार कर दिया । परंतु उसने जो कहानी सुनाई उससे आगे बढ़ने का रास्ता अवश्य खुल गया ।

बहन के मुताबिक बेशक गुलाब और उसके संबंध तनावपूर्ण थे परंतु वो हत्या कर ही नहीं सकती थी क्योंकि उसके पास आर्थिक साधन नहीं थे । गुलाब के पास कोई संचित संपति नहीं थी वो तो गुलाब की मेहनत के दम पर घर चला रहे थे ऐसे में गुलाब के ना रहने से उसके आजीविका के साधन बंद हो जाते । परंतु इस तर्क में विशेष दम नहीं दिखता क्योंकि आक्रोश की स्थिति में व्यक्ति सोचने समझने की क्षमता खो देता है ।


इसके बावजूद बहन ने गुलाब की मृत्यु की जो कहानी सुनाई उसमे बहुत कुछ ऐसा था जो कहानी को खारिज करने के लिए काफी था । परंतु मेरे गुजरे वक्त के कुछ अनुभव उस कहानी को खारिज करने से इंकार करते दिखाई दे रहे थे ।


गुलाब ने जब अपने माता पिता का साथ छोड़ा और सोदामणि के शहर में आ गया तब उसने किराए का मकान निश्चित किया । हालाकि यह बहुत पुरानी बात है परंतु सच यही है की इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी गुलाब अपना मकान नहीं बना सका । तकरीबन 20 साल गुजर जाने के बाद भी गुलाब और पत्नी अपने एक लड़के के साथ किराए के मकान में रह रहे थे । हर दो या तीन साल में मकान बदलना मजबूरी जैसा था ।


गुलाब की मृत्यु के वक्त वो जिस मकान में रह रहे थे वहां पर आए हुए उन्हें 6 महीने ही हुए थे । जिस वक्त गुलाब ने वो मकान किराए पर लिया उस वक्त पड़ोसियों ने उसे सावधान किया था । पड़ोसियों का कहना था की वो मकान शापित है उसमे भूतों का डेरा है और अक्सर उस मकान में रहने वाले व्यक्ति मृत्यु का शिकार हो जाते है । पड़ोसी यह भी कह रहे थे की उस मकान का पुराना पड़ोसी हाल ही में मृत्यु को हासिल हुआ है । गुलाब सुलझे विचारों का व्यक्ति था लिहाजा उसने परवाह नहीं की और उस मकान को किराए पर ले लिए ।

बहन ने यह भी बताया की उनके पास घोटणा नहीं था परंतु उस मकान में रहने के दौरान अक्सर किसी कोने में रखा हुआ घोटणा (चटनी पीसने का लकड़ी का डंडा) और शराब की बोतल दिखती थी । शराब तो गुलाब भी पीता था इसीलिए बोतल पड़ी दिखाई देना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी और घोटाणा शायद इतनी सामान्य चीज है की यदि कहीं दिख भी जाए तो भी कोई ध्यान नहीं देता । बहन से यह भी पता चला की पुराना किरायेदार जिसकी मृत्यु उस घर में हुई थी उसके शरीर पर भी मारपीट और गला दबाने के निशान थे , ठीक वैसे ही जैसे गुलाब के शव पर थे ।


सुनने में बड़ा अजीब सा किस्सा है और ऐसा लगता है की हत्या के वक्त शरीर पर जो निशान बने उसके विषय में सवाल उठा तो एक किस्सा सुना दिया गया । संभवतया कोई भी इस कहानी को पहली नजर में ही खारिज कर देगा । मेरे लिए गुजरे कल में घटी कुछ घटनाओं के कारण कहानी को सिरे से खारिज कर पाना संभव नहीं था ।


कई वर्ष पहले मैं एक ऐसे मकान में रहता था जहां पर मुझे सपने आते थे और चंद रोज में ही सपने सच हो जाते । ऐसा एक बार या दो बार नहीं बल्कि लगातार हो रहा था लगभग हर सप्ताह । मैंने उस मकान को छोड़ने का प्रयास भी किया यहां तक कि मैंने दूसरा मकान फाइनल करके एडवांस किराया भी दे दिया परंतु फिर भी मैं उस मकान को छोड़ नहीं पाया कोई न कोई बाधा लगातार आती रही यहां तक कि दो बार मेरा फाइनल किया दूसरे मकान का एडवांस किराया डूब भी गया परंतु मैं उस मकान को खाली नहीं कर सका । कई सालों के बाद आखिर मकान मालिक ने मुझे खाली करने का अल्टीमेटम दिया और तब मुझे पहले से मालूम था क्योंकि सप्ताह भर पहले ही सपने में देख चुका था लिहाजा मकान तलाश कर चुका था और जब मकान मालिक ने खाली करने का अल्टीमेटम दिया तो मैंने बिना वक्त मांगे ही खाली करने की तारीख बता दी । एक सप्ताह बाद खाली कर भी दिया । मकान दी तारीख से 2 दिन पहने ही खाली करना पड़ा क्योंकि पिछली रात ही मैंने एक विचित्र प्राणी को आमने सामने देखा और मैं उस विचित्र प्राणी को भूत के अलावा और कुछ नहीं कह सकता (पूरा वर्णन एक अन्य कहानी ' भूत ' में है) । अब क्योंकि मैं भूत को आमने सामने देख चुका हूं और एक तरीके से सालों तक भूत के साथ रह भी चुका हूं तो मेरे लिए कहानी को सिरे से खारिज कर पाना संभव नहीं था । अच्छी बात यह थी की अब मेरे सामने एक कहानी थी जिसे चेक करने के कई साधन मोजूद थे । जैसे की मैं पड़ोसियों से बातचीत कर सकता था, पुराने किरायेदार की परिवार वालों से मिल सकता था और जान सकता था की उसकी मृत्यु कैसे हुई । और सबसे महत्वपूर्ण घोटाना और शराब की बोतल का दिखाई देना तो संभव है और भी लोगो ने देखा है । यह महत्वपूर्ण लगा क्योंकि गुलाब की लाश के पास भी लोगों ने घोंटना और शराब की बोतल देखी थी ।


काफी भागदौड़ करनी पड़ी पड़ोसियों से मुलाकात भी को और उन लोगो से कहानी के कई सारे वर्जन सुनने को मिले परंतु सभी वर्जन में एक बात कॉमन दिखाई दी की उस मकान में पिछले चार किरायेदार मर चुके है । गुलाब की मृत्यु तो मेरी जानकारी में थी और उसके पहले वाले किरायेदार की मृत्यु के बारे में बहन ने बताया था और पड़ोसियों से पता चला की दो और किरायेदार उस मकान में मर चुके है | यह एक संयोग हो सकता है संभव है की लगातार चार किरायेदार उस मकान में संयोग से मर चुके हो परन्तु अगर यह संयोग है तो वास्तव में विचित्र संयोग है |


गुलाब से पहले जो किरायेदार वहां रहता था उसकी पत्नी से भी मेरी बातचीत हुई उसने भी हिचकिचाते हुए मृत्यु का कारण गंभीर चोट का लगना बताया परन्तु चोटें कैसे लगी वह बता पाने में असमर्थ थी | वह लोग उस मकान में तकरीबन 2 साल तक रहे थे परन्तु उसने घोटणा और शराब की बोतल का दिखाई देना या ऐसी किसी अन्य घटना के होने से इंकार भी कर दिया | पड़ोसियों ने अवशय ही अजीबोगरीब घटनाओं का एक पूरा पुलिंदा सुनाया जिसमे अक्सर शराब की बोतलों का मिलना जैसी अजीब घटना भी थी | 


काफी खोजबीन के बाद भी मेरा द्वारा किसी निष्कर्ष तक पहुँच पाना संभव नहीं हो सका क्योंकि शराब और घोटणा की घटना जो महतवपूर्ण थी उसका सत्यापन वह व्यक्ति नहीं कर पाया जो वहां पर लगभग 2 साल तक रहा | जहाँ तक पड़ोसियों की बात है वह वहां रहते नहीं बस सुनी सुनाई बातें ही बता सकते है | परन्तु चार किरायेदारों की लगातार मृत्यु वास्तव में हैरतअंगेज घटना थी जिसने मुझे और जानने के बारे में प्रेरित किया और मैं माकन मालिक की तलाश में निकल पड़ा | वैसे मकान मालिक से मुलाकात करना एक अन्य कारण से भी जरूरी था । मैं इस मकान में कम से कम एक रात वहां गुजारने की सोच रहा था जिसके लिए मकान मालिक से मिलना जरूरी था ।


मकान मालिक नज़दीकी गाओं में रहता बताया गया और यदि अपना साधन हो तो तकरीबन 3 घंटे में पहुंचा जा सकता था |


गाओं में एक और आश्चर्य मेरे इंतज़ार में था वहां माकन मालिक के मकान पर बड़ा सा ताला लटक रहा था | पंचायत से पता चला की मकान मालिक मर चुका था और उसका कोई रिश्तेदार या वारिस भी नहीं था । गांव का वो मकान और शहर का वो मकान दोनो ही अब लावारिस थे उनका कोई मालिक नहीं था ।


मकान मालिक बहुत पहले ही मर चुका था । जब गुलाब ने वो मकान किराए पर लिया मकान मालिक उससे भी पहले मर चुका था ।


गुलाब को मकान किसने किराए पर दिया ? क्या गुलाब वहां बिना किराया दिए ही रह रहा था ? कही ऐसा तो नहीं की मैं ही गलत जगह पहुंच गया होऊं और वास्तव में गांव का वो मर चुका व्यक्ति और शहर वाला मकान मालिक अलग अलग व्यक्ति हो ।


कहना मुश्किल है परंतु ना तो मकान मालिक मुझे मिला और न ही मैं बिना किसी की इजाजत के वहां रात गुजारने की हिम्मत ही जुटा पाया । शायद उस मकान में कोई नया किरायेदार आए तब कुछ नया पता चल सके 


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