Mens HUB

Abstract Thriller Others

3  

Mens HUB

Abstract Thriller Others

यात्रा वफादारी

यात्रा वफादारी

5 mins
29


आजाद परिंदा


कहा जाता है की कुत्ता एक बहुत ही वफादार जानवर है । शायद ही कोई कुत्ते की वफादारी पर अंगुलि उठा सके । यही उसकी मेहनत की कमाई है, शायद सदियों की मेहनत और वफादारी का फल । कुत्ते की इस कमाई को कोई नहीं छीन सकता यहां तक कि कुत्तीया भी नहीं । कभी सुना है कुत्तीया बड़ी वफादार जानवर है ? 

नहीं ना ।

मैं भी कुत्ते की इस मेहनत की कमाई को नहीं छीन सकता और ना ही ऐसी कोई कोशिश ही है लेकिन इस बार की यात्रा में यह अहसास जरूर हुआ की महिला भी वफादार प्राणी है , अगर कुत्ते जितनी नहीं भी हो तब भी कुत्ते को टक्कर तो देती ही है ।

वैसे तो कहना मुश्किल है की वो क्या है और क्यों है परंतु है तो मेरी मौसी ही तो ऐसा कैसे हो सकता था की पूरा भारत घूमने निकला जाए और उससे मुलाकात न हो । एक शाम राजस्थान के एक छोटे शहर में मौसी के यहां रात गुजारने का फैसला करके पहुंच गया मौसी के पास । देर रात तक यहां वहां की बातें चलती रही और फैसला हुआ की अगले दिन मैं वहीं रुकूंगा और मौसी मुझे कहीं ले जायेगी । कहां यह नहीं बताया ।

वैसे अगले दिन जब रवाना हुए तो एक एक करके मेरे भ्रम दूर होते चले गए , मुझे लगा था की मौसी मुझे किसी पंडित तांत्रिक या ऐसे ही किसी के पास लेकर जायेगी । लेकिन हम कहीं और ही जा रहे थे ।

रास्ते में बातों बातों में पता चला की मौसी की जानकारी में एक लड़की है शायद 40 के आसपास की , कहना मुश्किल है की विधवा है या तलाकशुदा ।

क्यों ?

जैसा की मौसी से पता चला उसकी शादी किसी नजदीकी शहर में हुई थी और शायद एक साल के अंदर ही तलाक हो गया था । जैसा की मौसी से पता चला इसमें लड़की की कोई गलती नहीं थी ।

इसके बाद फिर से लड़की ने शादी की लेकिन किस्मत को मंजूर नहीं था और लड़की इस बार विधवा हो गई । कैसे मुझसे मत पूछियो क्योंकि मैं नहीं बताने वाला की लड़के ने आत्महत्या कर ली थी । जैसा कि मौसी ने बताया सब लड़के की गलती थी ।

इसके बाद एक बार फिर विवाह मंडप सजा लेकिन हाय यह किस्मत नाम की चुडेल एक बार फिर बिगड़ गई और एक बार फिर तलाक हो गया । ऊपर से कन्या भ्रूण हत्या की मार और पड़ी इस बार शादी से एक लड़की भी पैदा हो गई ।

खैर मेहनती आदमी कभी हार नहीं मानता और एक बार फिर मंडप सजा , इस बार मंडप में बैठा एक संन्यासी । संन्यासी जो शादी करना ही नहीं चाहता था अपना अधिकांश वक्त मंदिर में गुजरता था । पता नहीं कैसे लेकिन बस संन्यासी अपने किसी रिश्तेदार से मिलने आया था और वही तुरत फुरत मंडप सज गया । जाहिर है संन्यासी की ही गलती थी और एक बार फिर तलाक होना ही था ।

लेकिन वो कहावत है ना ' हिमत्ते औरतान मददे खुदा ‘ तो एक और कोशिश की लेकिन कोई अच्छा लड़का बचा ही कहां है जो मिलता और नतीजा वही ढाक के तीन पात ।

कुल पांच शादी , चार तलाक और एक आत्महत्या तो मेरे लिए तय करना असंभव हो गया की अब उसे तलाकशुदा कहा जाए या विधवा ।

मौसी किस्सा आगे बढ़ाए जा रही थी और मुझे क्या बोंधू समझ रखा है जो अंत समझ न आए ? मुझे जल्द ही समझ आ गया की इस बार मेरा नंबर लगने वाला है या तो मंडप सजा हुआ मिलेगा या सज रहा होगा ।

तैयारी करना तो बनता है लिहाजा मैंने भी एक दुकान के सामने गाड़ी रोक कर नए कपड़े और सेंट परफ्यूम और ना जाने क्या क्या खरीद डाला ।

लेकिन किस्मत की मार कहां सही जा सकती है । आखिर हम पहुंच ही गए, एक दुकान के सामने जहां एक आदमी गाड़ियों की मरम्मत करता हुआ मिला । दुनिया जहां से बेखबर एक जीप की मरम्मत करता हुआ । 

मेरी नजर तो मंडप तलाश कर रही थी और मौसी ने मेरा भेजा ही उड़ा दिया यह बताकर की वो जीप मरम्मत करता हुआ आदमी वही संन्यासी है जिससे लड़की की शादी और तलाक हुआ था । मैंने तो सोचा था लड़की के घर पर जा रहे है परंतु यहां तो दुश्मन की सरहद में पहुंच गए । मेरा दुश्मन मेरे सामने खड़ा था तो मेरा मूंछें तान लेना भी जरूरी था ।

हाय यह जमाना और हाय यह मौसी सब गुड़ गोबर कर दिया , मेरी तनी मूँछों को एक झटके से गिरा दिया । मौसी ने मेरी होने वाली का ऑफर तो संन्यासी को दे दिया ।

मौसी संन्यासी को समझा रही थी लड़की अच्छी है और अब संन्यासी भी काम धंधा कर रहा है तो उसे लड़की को लेकर आना चाहिए ताकि दोनों का घर बस सके । और मैं संन्यासी यानी की दुश्मन को दुश्मनी की नजर से घूर रहा था । सच में अगर मौसी बस 10 मिनट के लिए वहाँ से हट जाती तो ……. । मौसी उसे समझा रही थी की दो दिन बाद उसकी जानकारी में एक शादी है वहां लड़की भी आ रही है और तुझे भी आना है बस एक बार माफी मांग लेना बाकी मुझ पर छोड़ देना ।

मेरे अरमानों का खून करके मौसी तो दुश्मन के साथ मिल गई थी । अब जब मौसी ही दुश्मन बन गई तो मेरे लिए दो ही रास्ते बचते थे या तो दोनों दुश्मनों के खिलाफ मोर्चा खोल कर अपने वाली को भगा कर ले जाया जाए या फिर शहर घूम लिया जाए । मैंने दूसरा रास्ता चुना ।

मौसी ने आखिर साबित कर ही दिया की महिला वफादारी के मामले में कुत्ते को टक्कर देती है । एक महिला दूसरी महिला के प्रति कुत्ते से भी ज्यादा वफादार है फिर चाहे जैसे भी हालत हो । एक महिला कुछ भी करे चाहे हत्या कर दे, चाहे वेश्यावृति करे , चाहे किसी को पीटे, चाहे तो हत्या ही कर दे , चाहे रेप का आरोप लगा कर पैसा कमाए , चाहे अमीर मुर्गा ओह सॉरी मुर्गों को बुरा लग जायेगा इसीलिए अमीर लड़का फसाने के लिए होटल में जाए , चाहे जो करे महिला अपनी प्रजाति के खिलाफ जाकर सच का साथ नहीं देगी । महिला दूसरी महिला के साथ हमेशा खड़ी रहेगी और अगर किसी आदमी के खिलाफ खड़ा होना हो तो सोचने विचारने की भी जरूरत नहीं । महिला अपनी प्रजाति के प्रति उतनी ही वफादार है जितना की कुत्ता ।


नोट : जब तक शेर लिखना नहीं सिखाता शिकारी ही हर कहानी का नायक रहेगा ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract