हीरा ठाकुर का छोटा भाई
हीरा ठाकुर का छोटा भाई
वैसे वो एक मामूली आदमी था , बल्कि मामूली कहना भी बढ़ा चढ़ा कर कहना होगा । वो वास्तव में मामूली से भी मामूली इंसान था । उसे सब हीरा ठाकुर का छोटा भाई कहते थे । अब ना तो उसका हीरों से कोई लेना देना था और ठाकुर तो वो हरगिज नहीं था । फिर भी कहलाता हीरा ठाकुर का छोटा भाई था । हीरा ठाकुर वही अपने सेट मैक्स वाले हीरा ठाकुर । नहीं समझे तो याद करो सूर्यवंशम वाले हीरा ठाकुर को । नहीं याद आया तो जब खाली हो सेट मैक्स देख लेना सूर्यवंशम आ रही होगी या आने वाली होगी ।
वो खुद तो एक चपरासी था , मामूली चपरासी । परंतु उसकी बीवी हालांकि वो भी लगभग उसी के जैसी थी बहुत ही मामूली । अगर वो नौकरी करना चाहती तो शायद चपरासन बन जाती या शायद उससे भी नीचे की कोई जॉब करती । लेकिन वो खुद काफी मेहनती था और वो अपनी बीवी को पढ़ना चाहता था बहुत पढ़ना चाहता था कलेक्टर बनाना चाहता था । ठीक सूर्यवंशम वाले हीरा ठाकुर की तरह , बस इसीलिए सब उसे हीरा ठाकुर का छोटा भाई कहने लगे थे ।
उसने मेहनत की अपनी सब कमाई बीवी को पढ़ाने में लगा दी और फिर एक दिन वो बड़ी अधिकारी बन गई , वो पीसीएस बन गई ।
मैंने उसे बहुत समझाया था की उसने शादी की है कोई बीवी गोद नहीं ली जो उसे पढ़ा रहा है । मैंने उसे समझाया भी था ठीक ठाक कमा रहा है ऐश करे परंतु वो नहीं माना वो मुझे मूर्ख कहता रहा और दोस्ती के नाते मैं उसे बार बार समझाता रहा ।
कई दिनों बाद पता चला की उसकी बीवी ने पीसीएस बनाने के बाद एक अधिकारी के साथ लव यू लव यू का खेल शुरू कर दिया और उसे तलाक दे कर रवाना होने की तैयारी कर ली ।
अब भला तलाक ऐसे कैसे हो ?
भारत में आज तक सब तलाक इसीलिए होते है क्योंकि पति दहेज मांगता है, मारता पीटता है, शराब पीता है मतलब की तलाक की सिर्फ और सिर्फ एक ही वजह मान्य है और अधिकारी महोदया की वजह अलग कैसे हो सकती थी ?
तो हमने चपरासी मित्र भी आजकल दहेज लोभी दरिंदे है और वो सबको समझा समझा का थक गए की वो वो तो हीरा ठाकुर के छोटे भाई है पर कोई सुनता ही नहीं ।
मेरे पास भी आए आज सुबह ही , मैंने भी उनकी नहीं सुनी बल्कि दो थप्पड़ लगा कर फिर दोहरा दिया की तुमने बीवी गोद नहीं ली थी बल्कि शादी की थी फिर काहे अपना पैसा उसे पढ़ाने पर लगाया ।
उसे नहीं मानना था नहीं माना और वो हीरा ठाकुर हीरा ठाकुर चिल्ला चिल्ला कर गला फाड़ते हुए बाहर निकल गया । मैं भी बस मन ही मन कह कर अंदर आ गया की हीरा ठाकुर खुद मजदूर बना रहा होता तो उसकी बीवी भी भाग गई होती ।
बेशक इस वक्त उसे भगा दिया था परंतु दोस्त है तो दोस्ती निभानी भी पड़ेगी मतलब की पीसीएस साहिबा की आधी तनख्वाह मरते दम तक चपरासी को दिलवानी पड़ेगी ।