मैं तुम सा नहीं
मैं तुम सा नहीं
आजाद_परिंदा
वैसे तो जरूरी नहीं की आस पास रहने वाले लोगो को पर्सनल लाइफ में तांक झांक की जाए, परंतु कभी कभी कोई ऐसा मिल जाता है जो उत्सुक होता है की कोई आए करे तांक झांक। तो भाई हम यानी की मैं ऐसे अवसर को सुनहरा अवसर मानते हुए तुरंत शुरू हो जाता हूं। आखिर कुछ जानने को ही मिलेगा, कुछ नया सिखने को मिलेगा और फिर सामने वाला दिल कुछ हल्का करने के लिए ही तो बुला रहा है अपनी पर्सनल जिंदगी में इतनी मदद करना तो फर्ज बनता है ना।
तकरीबन एक महीना पहले पड़ोस में ही रहने वाले एक फौजी से ऐसा ही एक निमंत्रण मिला। वो जब भी मुझे मिला थोड़ा शांत या दुखी ही दिखाई दिया। हालाकि मैं कभी तय नहीं कर सका की वो शांत है या दुखी। हर मुलाकात पर थोड़ी हल्की फुल्की बात होती और फिर अपने अपने रास्ते। आखिर एक दिन मैंने पूछ ही लिया की भाई उदास क्यों रहते हो। तुरंत ही तांक झांक करने का निमंत्रण मिल गया।
वक्त निकाल कर फौजी के साथ उसका दुख दर्द सांझा करने का प्रयास किया। फौजी ने किस्सा गुलबकावली पूरे शान से सुनाया परंतु मेरी समझ में नहीं आया की आखिर यह फौजी दुखी क्यों है।
शायद उसका किस्सा अलग ही डाइमेंशन का था और मैं किसी अन्य डाइमेंशन में रहने वाला जीव। तब आखिर फौजी की बात समझने के लिए उसके डाइमेंशन में दाखिल होने का निश्चय किया।
फौजी साहब की समस्या थी उसके माता पिता जिन्होंने उसे अपनी समस्त प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया था , हालाकि मेरी नजर में कोई समस्या नहीं थी फिर भी यदि कायदे से सोचा जाए तो सोचना पड़ेगा की आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया।
हालाकि संपत्ति उनकी है वो जो चाहे कर सकते है परंतु फिर भी एक पक्ष यह है की उनके द्वारा यह फैसला करने की कसोटी क्या थी और कितनी सही थी कसोटी।
अब अगर फौजी कोई आवारा किस्म का आदमी होता तब बेदखली जायज बात थी। परंतु पिछले दो साल से फौजी को जानता हूं और सिर्फ इतना कह सकता हूं की फौजी एक डिसेंट आदमी है।
अब अगर फौजी के मां बाप अपनी संपत्ति किसी समाज सेवा या धार्मिक कार्य में लगा देते तब भी बेदखली जायज बात होती। परंतु ऐसा भी नहीं है। वो अपनी संपत्ति किसी अन्य को सौंप रहे है।
फौजी के मां बाप अपनी सनक में संपत्ति से बेदखल कर रहे है। और सनक भी यह को लड़का हमारे दिखाए अनुसार मशीन बन कर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता वो अपना रास्ता खुद चुनना चाहता है। अपनी सारी संपत्ति वो अपने छोटे लड़के को देने की वसीयत कर चुके है क्योंकि छोटा लड़का उनके बताए मशीनी रास्ते पर चल रहा है।
सनक सिर्फ इतनी की बड़ा लड़का शादी नहीं करना चाहता और छोटे ने कर ली।
इससे बड़ी सनक पूरी दुनिया में और कोई नहीं है की मां बाप बच्चो से चाहते है की जो जो मूर्खता उन्होंने की उनके लड़के भी वही मूर्खता दोहराते जाए।
महीने भर पुरानी बात है इसीलिए अपने सामर्थ्य अनुसार मैने फौजी को समझा कर भिजवाया की इस बार जब मां बाप के सामने जाए तो एयर इतना कह कर आए की मैं तुम सा नहीं '।
दो दिन पहले मुलाकात हुई पता चला की मेरा संदेश पहुंचा आया है। फौजी अभी भी शांत है , खुश तो नहीं परंतु फौजी के मित्रों को गालियां निकालते निकालते फौजी की मां का ब्लड प्रेशर जरूर हाई हो गया और इस वक्त वो हॉस्पिटल में है।
फौजी एक बार फिर जा रहा है हाल चाल पता करने और मेरा एक और संदेश देने , इस बार मेरा नाम भी बताने वाला है ताकि अज्ञात मित्रों को नहीं बल्कि ज्ञात मित्र को गालियां निकाल कर सुकून हासिल कर सकें।
उम्मीद है फौजी भी जल्द ही समझ जायेगा की वो उन जैसा नहीं और ना ही बेदखल होने से उसका जीवन खत्म होने वाला है। और फौजी के मां बाप शायद उनके पास इतना समय नहीं की वो समझ सकें , बस कोशिश कर सकते है जो वो शायद ही करें।