Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Shelly Gupta

Horror

3.8  

Shelly Gupta

Horror

अब सिर्फ शोर था

अब सिर्फ शोर था

6 mins
23.8K



"अरे यार! तुम कहां ले आए? इस बार तुम पर छोड़ा तो तुम हमें इन टूटे-फूटे खंडहरों में ले आए। किला ही देखना था तो कोई ढंग का किला ढूंढ़ते जो कम से कम जर्जर ना होता", अमित किले को देख मुंह बनाता हुआ राजीव से बोला।


"अच्छे भले किलों में तेरी इच्छा पूरी ना हो पाती। वहां की सिक्योरिटी बड़ी टाइट होती है। बहुत सर्च मार के मैंने इस किले का पता लगाया है जो भूतिया भी है और जिस में सिक्योरिटी भी नहीं है। यहां पर हम रात को भी आसानी से घूम सकते हैं और उससे ज्यादा इंटरेस्टिंग बात बताऊं - कहते हैं यहां हर अमावस्या मौत का तांडव मचता है", राजीव बोला।


" मेरी मम्मी ने तो आज सुबह ही अमावस के लिए पंडित जी की थाली निकाली थी। इसका मतलब अमावस आज है " विनय बोला।


"चलो, इसका मतलब है कि आज कम से कम एक आधे भूत से तो सामना हो ही जाएगा वरना शायद हम खाली हाथ ही लौट जाते", कहकर अमित ने जोर से ठहाका मार कर हंस पड़ा और उसके साथ बाकी सब हंस पड़े।और सब अंदर चले गए। 


सबने अपनी अपनी पेंसिल टॉर्च जलाई और उसी के सहारे हर चीज देखने लगे। किला जर्जर होते हुए भी शानदार था। साफ पता चल रहा था कि किसी जमाने में बेमिसाल रहा होगा। राजीव सबको किले की कहानी सुनाने लगा।


"कभी इस किले ने बड़े शानदार दिन देखे थे पर फिर यहां का राजा अचानक युद्ध में हार गया और उसे बंदी बना लिया गया। जीतने वाले राजा ने बड़ी बेरहमी से ना सिर्फ राजा का बल्कि यहां की तकरीबन सारी प्रजा का भी कत्ल कर दिया। सिर्फ कुछ लोग ही छोड़े ताकि उन्हें अपनी चाकरी में वो लगा सके और उनका भी इतना बुरा हाल उसने कर दिया था कि अगर वो मर जाते तो शायद बेहतर होता उनके लिए। और जब जीतने वाले राजा ने इस किले में रहना चाहा तो एक के बाद एक होते हादसों ने और लोगों के साथ हुई भयानक घटनाओं ने उसे समझा दिया कि जिन लोगों को उसने बेरहमी से मारा था वो अभी भी यहीं हैं। अस्वभाविक मृत्यु के कारण किसी की गति नहीं हुई थी।डर के मारे राजा ने किला छोड़ने का निश्चय कर लिया परंतु जाने से पहली रात ही उसके और उसकी पूरी सेना के ऊपर किसी ने आक्रमण कर दिया। आक्रमण बाहर से नहीं हुआ था बल्कि किले के अंदर से ही हुए था।


 कहते हैं उस रात इतना शोर मचा था कि सुनने वालों के कान बहरे हो गए थे। राजा और उसके साथियों की चीखें दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। वो रात अमावस की रात थी।तब से पूरा महीना वीरान पड़े रहने के बाद हर अमावस की रात इस किले में खूब शोर मचता है। 


वो प्रेत किले में आने वाले के सामने उसके डर के रूप में आते हैं। जिस चीज से डर ज्यादा, वो उसी की शक्ल ले लेते हैं। आधा तो बंदा उनकी शक्ल देख कर ही मर जाता है। उन प्रेत के काम देखकर तो मौत खुद भी कांप जाती है।"



राजीव की बात सुनकर अमित बोला," तुम्हारी बात तो कहीं से भी सच नहीं लगती। यहां तो हवा भी शांत है। "वो लोग किले में ही इधर उधर घूमते रहे। तभी उन्हें एक बंद कमरा सा दिखा। जाने किले के अवशेषों के बीच ये कमरा कैसे सही सलामत रह गया। दरवाज़े पर सांकल लगी थी और ऊपर से रस्सी लिपटी हुई थी। विनय ने जेब से छोटा सा चाकू निकाला और उससे रस्सी काट दी। जब उसने रस्सी को अच्छे से टार्च की रोशनी में देखा तो वो रस्सी नहीं मौली निकली। विनय ने उसे चाकू के साथ ही अपनी जब में वापिस डाल लिया और कमरे की सांकल खोल दी।



तीनों धीरे धीरे उस कमरे में घुसे और टार्च से सब ओर देखने लगे। कोने में एक जर्जर सा संदूक पड़ा था। राजीव ने आगे बढ़कर उस संदूक को खोल दिया। संदूक खोलते ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ें आने लगीं। तीनों ने तंग आकर अपने कान उंगलियों से बंद कर दिए पर शोर फिर भी उनकी बर्दाश्त के बाहर था।


तभी राजीव को लगा जैसे उसके ऊपर कीड़े रंग रहे हों। उसन टार्च अपनी साइड की तो वाकई उसके उपर सैंकड़ों कीड़े चल रहे थे। वो बहुत बुरी तरह चिल्लाया और टार्च फेंक कर अपने ऊपर से कीड़े हटाने लगा पर कीड़े तो उसके मांस के अंदर तक धंस चुके थे। दर्द के मारे वो बिलबिलाए जा रहा था और देखते ही देखते कीड़े उसका पूरा शरीर चट कर गए।



विनय और अमित तो ये देखकर पागल से हो गए।उन्होंने राजीव की हालत देखकर खूब उल्टियां की। वो उल्टे पांव कमरे से बाहर निकालने लगे पर वहां कोई दरवाज़ा नहीं था। लेकिन वो तो अंदर आए थे दरवाज़े से। तभी अमित की निगाह ज़मीन पर गई।राजीव के हाथ से गिरी टार्च में पूरी ज़मीन सांपों से भरी हुई दिख रही थी। अमित को सांप से बहुत डर लगता था। उसकी घिग्गी बंध गई। देखते ही देखते अमित को सांपों ने पूरी तरह लपेट लिया और धीरे धीरे उसके शरीर को वो कसते चले गए। अमित के शरीर की हर हड्डी के चटकने की आवाज़ विनय ने सुनी। चीखों से गूंजते किले में भी अमित की चीखें साफ सुन रही थीं।अमित का मृत शरीर जैसे ही धरती पर गिर वैसे ही विनय ने अपने होश खो दिए। उसका दिल और दिमाग अब और कुछ सहन नहीं कर सकता था।



 धीरे धीरे रात बीत गई और किला खामोश हो गया। सूरज की रोशनी विनय के मुंह पर पड़ती हैं तो उसकी आंखें खुल जाती हैं।वो इधर उधर देखता हुआ सोच में पड जाता है। तभी उसकी आंखों के आगे रात की सारी घटनाएं एक एक करके दौड़ जाती हैं। वो डर के मारे खड़ा हो जाता है और दरवाज़े से बाहर भाग कर किले से बाहर निकल जाता है। उसके निकलते ही वो दरवाजा फिर गायब हो जाता है।


विनय बग़ैर रुके भागता चला जाता है। गिरता पड़ता बग़ैर रुके वो आखिर एक बस स्टॉप पर पहुंच जाता है और पहली बस जो भी दिखती है उस में चढ़ जाता है। अब जाकर उसकी सांस में सांस आती है। वो थककर आंखें बंद करता है तो पिछले सारी बातें उसके दिमाग में फिर से घूमने लगती हैं। डर के मारे वो आंखें खोल लेता है। सारी बातों में बस उसे एक ही बात नहीं समझ आती कि आखिर वो बचा तो बचा कैसे। राजीव और अमित की दुर्गति के बाद तो उसका बचना बड़े अचरज की बात है। 


तभी कंडक्टर के आने पर वो टिकट खरीदने के लिए जेब में हाथ डालता है तो उसके हाथ में मौली आ जाती है। उसे देखते ही विनय समझ जाता है कि इसी के कारण वो आज ज़िंदा है और शायद उस कमरे के दरवाज़े को सिर्फ यही मौली ही बंद रख सकती थी। विनय को अब बड़ा डर लगता है कि जाने उस दरवाज़े को खोलकर उसने सबके लिए कितनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी। उसने घबरा कर मौली चलती बस से नीचे फेंक दी और कंडक्टर को टिकट के पैसे देने लगा। पर ये क्या वहां कंडक्टर नहीं बल्कि प्रेत खड़ा था और देखते ही देखते पूरी बस उस किले वाले कमरे में बदल गई और अब सिर्फ शोर था और चीखें थी।




Rate this content
Log in

More hindi story from Shelly Gupta

Similar hindi story from Horror