Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Shelly Gupta

Inspirational

2.8  

Shelly Gupta

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जहर

जहर

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राजेश ने घड़ी में टाइम देखा और फटाफट घर से बाहर निकल गया और घर से थोड़ी दूर पान की दुकान पर पहुंच गया। उसके सब दोस्त वहां आ चुके थे। घर पर सब की रोक टोक से तंग आकर सबने सिगरेट पीने का यही ठिकाना बना लिया था।


सब सिगरेट की कश भरते हुए लंबे लंबे छल्ले छोड़ रहे थे और बोल रहे थे कि उनके घरवालों को क्या पता इस सुख का, उनके लिए तो बस ये जहर ही है। तभी राजेश का अठारह वर्षीय बेटा निकुंज भी साथ वाली दुकान पर ब्रेड लेने आ गया। अपने पापा को वहां खड़ा होकर सिगरेट पीते देख उसकी बहुत बुरा लगा । वो पलट के जाने लगा ही था कि उसके पापा के दोस्त विमल ने उसे आवाज़ मार कर पान की दुकान पर बुला लिया।


निकुंज को बुला कर एक सिगरेट विमल ने उसकी साइड बढ़ा दी और बोला," अब तो तू भी बड़ा हो गया। आया कर तेरे पापा के साथ रोज़। "


राजेश के हाथ से सिगरेट छूट कर नीचे गिर गई और वो निकुंज का हाथ पकड़ अपने घर की ओर निकल गया, जहर फैलने जो लग गया था।



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