Shelly Gupta

Inspirational

4.2  

Shelly Gupta

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नई राह

नई राह

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सारे बच्चे दबी दबी आवाज़ में हंस रहे थे। अभि को सब सुनाई दे रहा था पर उसने उनकी हंसी पर ध्यान नहीं दिया। उसकी नज़रें तो बस अपने कोच सर विनोद पर टिकी हुई थी।

एक दो तीन... और अभि ने वेट लिफ्टिंग कर ही ली। सब तरफ से हंसी की आवाज़ें आनी बंद हो गई। और आवाज़ आ रही थी तो बस विनोद सर के तालियां बजाने की। सब बच्चों की जुबान पर ताला सा लग गया था और अभि, उसकी आंखों में पानी था।

वेट नीचे रख कर वो सीधे अपने विनोद सर के पास गया और उनके पैरों में झुक गया। सर ने उसे अपने गले से लगा लिया।

अभि अपने वो दिन याद करने लगा जब वो कॉलेज के सबसे बिगड़े हुए लड़के के रूप में जाना जाता था। उसके पापा के रुतबे के कारण लेक्चरर भी उसे कुछ कहने में डरते थे। तभी विनोद सर की कॉलेज में जॉब लगी और पहली बार ज़िन्दगी में अभि को सजा मिली।

बहुत गुस्सा आया उसे और उसने बहुत कोशिश की विनोद सर को कॉलेज से निकलवाने की पर जाने क्यों उसकी हर कोशिश खराब गई। उसका और विनोद सर का छत्तीस का आंकड़ा बन गया था। उसने भी कसम खा रखी थी कि क्लासेज अटेंड नहीं करेगा और विनोद सर ने भी कसम खाई हुई थी कि उसे ढूंढ कर लाने की और सजा देने की। रोज़ सजा का लेवल भी पहले से बढ़ा हुआ होता। लेकिन सजा देते हुए विनोद सर की आंखों में अपने लिए सिर्फ प्यार ही दिखता था, नफरत या चिढ नहीं।

दिन पर दिन अभि की शरारतें कम होने लगीं। और एक दिन सजा का मौका ना मिलने पर सर उसे अपने साथ वेट लिफ्टिंग करवाने लगे। अब तक अभि को भी सर के साथ की आदत पड़ गई थी। उसे बड़ी मुश्किल हुई पर सर की आंखें उसे मजबूर कर देती थी सब करने के लिए, मानो सम्मोहन सा कर देती हो अभि पर वो आंखें। सर के साथ और मेहनत और लगन से अभि आज यहां तक पहुंच ही गया।

सर से मिलकर जब वो पलटा तो अपने लिए सब आंखों में इज्जत देख उसको बहुत खुशी मिली। सर की आंखें उसके लिए गर्व से चमक रही थी। एक जौहरी ने आज अपने हीरे को अच्छे से को तराश दिया था। अभि कुछ कहता इस से पहले ही दर्शकों की भीड़ में से उसके पापा निकल कर आए। अभि उन्हें देख कर बड़ा हैरान हुआ और ये क्या , उसके पापा सर के गले लग गए।

हैरान से अभि को देखकर दोनों मुस्कुरा दिए और फिर अभि के पापा ने अभि को अपने सबसे बचपन के दोस्त विनोद से मिलवाया जो कि उनके कहने पर ही यहां आए थे। अभि पापा की चालाकी पर पहले तो थोड़ा सा मन में गुस्सा हुआ पर अपनी सफलता याद आते ही वो पापा के भी गले लग गया। अब उसे नई इज्जत वाली राह मिल गई थी और वो इसके लिए अपने पापा और विनोद सर का बड़ा शुक्रगुजार था।


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