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Chitransh Waghmare

Drama

0.5  

Chitransh Waghmare

Drama

याद हो गया

याद हो गया

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ऐसा कैसे हुआ कि तुमको

मैं पूरा ही याद हो गया ?


ठीक ठीक मुझको पढ़ पाना

कठिन नही तो सरल भी नही,

मान रहा हूँ ठोस नही हूँ

लेकिन उतना तरल भी नही ।


बिल्कुल भी अनुमान न जिसका

ये कैसा अपवाद हो गया ?


दिखती है जो मेरे तन पर

एक अकेली सतह नही है,

मेरे अंदर रहने वाला

बिल्कुल मेरी तरह नही है ।


खुद से अलग थलग रहने का

मुझसे ही अपराध हो गया ।।


सब कैसे पहचाना तुमने

सिर्फ देखकर या फिर छूकर ?

भला हर्ष है या विषाद है

टपका जो आँखों से चू कर ।


आँखों ने आभास पढ़ लिए

भावों का अनुवाद हो गया ।।




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