STORYMIRROR

Chitransh Waghmare

Others

4  

Chitransh Waghmare

Others

जिनको खत कहते है

जिनको खत कहते है

1 min
28.6K


तुम जिनको ख़त कहते हो वे

ख़त लगते है मुझे परिंदे।


थामे हुए सफ़र की गठरी

इनका कोई ठौर नहीं है

कहने को पर्याय कई पर

इनके जैसा और नहीं है।


अभी इधर के रहवासी थे,

अभी उधर के है बाशिंदे।


सफर थैलियों में करते पर

मत कहना आराम बहुत है,

सुख दुःख की ख़बरें भीतर है

सचमुच इनको काम बहुत है।


दफ्त़र होता मेल जोल का

तो ख़त ही होते कारिंदे।


जो न किसी से कह पाए वो

कहने दिया हमारे मन को

अनभेजे कितने पत्रों ने

सहज समेटा था टूटन को।


जीवन का संगीत साधने

ख़त आये बनकर साज़िंदे।


Rate this content
Log in