Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अम्मा पत्थर तोड रही है

अम्मा पत्थर तोड रही है

1 min
14.5K


अम्मा पत्थर तोड रही है I


देह पसीने से भीगी पर

फिर भी चमक निराली लेकर,

रोज लौटती है बच्चो तक

रोटी लेकर, थाली लेकर ।


टूट गयी है भीतर से पर,

तिनका तिनका जोड़ रही है I


धरती हुई आग की भट्टी

दोपहरी की तेज़ धूप है,

पर अम्मा की काया जैसे

तपकर निखरा हुआ रूप है ।


अपनी साध साधती अम्मा

मौसम को झिंझोड़ रही है I


अम्मा को मौसम की चिंता

नए समय की फ़िक्र अलग है,

पर माँ घर-आँगन से रखती

इस चिंता का ज़िक्र,अलग है ।


हंसकर पल भर में ही अम्मा

सारी फ़िक्र निचोड़ रही है I


पर अम्मा को थोड़ा दुख है

मन में अब भी कसक बची है,

सोच रही माँ नए समय ने

कैसी नयी बिसात रची है ?


भोली नई-नई सी नस्लें

लीक पुरानी छोड़ रही है I


अम्मा घर की रानी जैसी

बच्चो की गुड़-धानी जैसी,

मुस्कानों, खिलखिलाहटों की -

उजली हुई कहानी जैसी ।


आँचल के झोंके से अम्मा

वेग हवा के मोड़ रही है I


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama