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Chitransh Waghmare

Inspirational Others

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Chitransh Waghmare

Inspirational Others

पानी रखना भूल गए

पानी रखना भूल गए

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लोग परिंदो की खातिर अब

पानी रखना भूल गए है।


लौट रही बैरंग घरों से,

अब गौरैया वाली प्यासें,

आँगन का चौरा सूखा है-

उखड रही तुलसी की साँसे।


वो चिड़ियों का आँगन-भर में

सदा चहकना भूल गए है।


भूल गए है लोग आजकल,

अंतर्मन की तहें खोलना,

रास नहीं आता पड़ोस को,

अब पड़ोस के साथ बोलना ।


बिन बोले मन के भावों को

सभी परखना भूल गए है।


खुदमुख्तार परिंदो की सब,

नज़र लगाते है उड़ान पर,

सबकी नज़रें गड़ी हुई है

अपने-अपने आसमान पर।


अपनी ही नज़रों में खुद ही

ऊँचा उठना भूल गए है।


नई पौध को फिक्र नहीं है,

कई पुराने अनुबंधों की,

टूट रहे पुल संवादों के -

जड़ें खोदते संबंधो की।


सुधियों की छाया के नीचे

पाँव ठहरना भूल गए है।


आज बुलाएँ फिर से वापस,

आँगन के रूठे पाँखी को,

और चहक़ में सुने सूर को

और कबीरा की साखी को।


आज पढ़ें वह पाठ समय सजो

हम पढ़ना भूल गए है।


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