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Chitransh Waghmare

Others

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Chitransh Waghmare

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बहुत दूर है

बहुत दूर है

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दफ्तर घर के बहुत पास है

दफ्तर से घर बहुत दूर है ।।

कहने को सब ठीक ठाक है

पीर नहीं देता है दफ्तर

लेकिन टूटे हुए हृदय को

धीर नहीं देता है दफ्तर ।।

जो भी लगता पास पास है

होता अक्सर बहुत दूर है ।।

इतने ज़्यादा सधे हुए है

जैसे साधा किसी छड़ी ने

हमको अपनी दिनचर्या में

बाँध लिया दीवार घड़ी ने।

कोलाहल बस गया कान में

आंगन के स्वर बहुत दूर है ।।

पाने की ज़िद में कितना कुछ

खोकर के दफ्तर जाना है

दिन भर खटना है ऑफिस में

सुस्ताने को घर जाना है

केवल अल्पविराम ले रहे

लगता बिस्तर बहुत दूर है ।।

जीने का अभिनय करते है

सचमुच कहाँ जिया करते है

जीवन भर जीवन की चिंता

कितनी अधिक किया करते है

कहने को सबकुछ है लेकिन

ढाई आखर बहुत दूर है ।।


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