याचना करता नहीं !
याचना करता नहीं !
याचना करता नहीं,
क्यों हस्त दूँ,
वेदना मन की लिखूं,
क्या शब्द दूँ !
क्या हुई गुस्ताखियाँ,
कुछ तो बताओ,
उन खताओं को ज़रा,
मिल कर सुनाओ !
अपनी बर्बादी है फिर भी,
मस्त हूँ,
याचना करता नहीं,
क्यों हस्त दूँ !
ज़िंदगी की बंदगी ,
मैं कर रहा था ,
हर घड़ी संजीदगी से
चल रहा था !
कौन बैठा ऐसी साज़िश,
रच रहा था,
आस्तीनों में घुसा क्यूँ,
डस रहा था !
पिंजरे में उसके मैं अब तो,
क़ैद हूँ,
याचना करता नहीं,
क्यों हस्त दूँ !
वेदना मन की लिखूं ,
क्या शब्द दूँ ! !
{ कोरोना महामारी की चपेट में आकर निरपराधी, मारे जा रहे लोगों के प्रति }
