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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

3  

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

याचना करता नहीं !

याचना करता नहीं !

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याचना करता नहीं,

क्यों हस्त दूँ,

वेदना मन की लिखूं,

क्या शब्द दूँ !


क्या हुई गुस्ताखियाँ,

कुछ तो बताओ,

उन खताओं को ज़रा,

मिल कर सुनाओ !


अपनी बर्बादी है फिर भी,

मस्त हूँ,

याचना करता नहीं,

क्यों हस्त दूँ !


ज़िंदगी की बंदगी ,

मैं कर रहा था ,

हर घड़ी संजीदगी से

चल रहा था !


कौन बैठा ऐसी साज़िश,

रच रहा था,

आस्तीनों में घुसा क्यूँ,

डस रहा था !


पिंजरे में उसके मैं अब तो,

क़ैद हूँ,

याचना करता नहीं,

क्यों हस्त दूँ !

वेदना मन की लिखूं ,

क्या शब्द दूँ ! !


{ कोरोना महामारी की चपेट में आकर निरपराधी, मारे जा रहे लोगों के प्रति }



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