वक़्त
वक़्त
चलो मेरे जाने का ही सही ये वक़्त तो आया
इसी बहाने मैं तुमसे वो सब कुछ कह पाया
जो लम्बे वक़्त से मैंने अपने दिल में छिपाया
कभी खंजर - कभी तीर जहर का
तेरी यादों ने मुझ पर चलाया
कभी घूँट गम का इन्होंने पिलाया
ये वक़्त ही तो है जिसने हर जख़्म पर मरहम लगाया
लौट कर ना आये हम ऐसा इंतज़ाम कर देना
उड़ने देना यादों की फुलझड़ियां मेरी
ना तुम इनको समेटे रखना
भावनाओं की डोर से बंधे है हम
ना तुम खुद को इनमे लपेटे रखना
ये तो वक़्त ही है ऐसा
इसमें सहना पड़ेगा सब - कुछ ऐसा - वैसा
एक वक़्त ऐसा भी आएगा
जिसमें तू घुटनों पर आ जाएगा
तब तू निर्लज़ सा हक्का - बक्का रह जायेगा
अब कहीं जाकर तुझको समझ आएगा
अरे वो तो इंसान है बड़ा सच्चा
जिसको लम्बे वक़्त से अँधेरे में मैंने रखा
अब जाग जायेगा तेरा अंतरमन
तू खुद में करने लगेगा मनन
मैं तो फिर करने लगूँगा तुझमें रमन
तू लाख करेगा अब जतन
कहेगा मान जा ओ मेरे गुलबदन
महका दे फिर से मेरा चमन
वो तो वक़्त बुरा था जिसमें
हम तो खो बैठे थे तुझको सनम
वो वक़्त भी अब आया है
जिसमें छंटी हर काली छाया
तेरा हमसफ़र तूने फिर से पाया
अब काटने लगेगा तेरा सारा वक़्त
जिसमें तूने फिर जुदाई - गम ना पाया
करेगा शुक्रगुजार ईश्वर का कहेगा
तेरी रहमत से ही तो मैंने ये वक़्त दोबारा पाया।