STORYMIRROR

Dr. Prakhar Dixit

Drama Romance

1  

Dr. Prakhar Dixit

Drama Romance

वियोग

वियोग

1 min
3.0K


अल्हड यौवन लै

अंगडाई मेरो रग रग मदन सतावै।

फागुन की फगुनाई

दइया रहि रहि जिया जरावै।।

नखशिख भयी रसाल रसीली

महुआ सी मदमाती मैं

ता पर सैंया भये विदेशी

हम कैसे भार उठावैं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama