सुप्रभातम्
सुप्रभातम्
मोहनि सांवरे टोना सो करि जाय।
जेतो डूबौं श्याम रंग तेतो मन हर्षाय।।
अपने रंग-रंग लै मोहे कोरी चूनर मोर।
जबै रंगेगी चूनरी रुखिहौं गोज मरोर।।
तू छलिया ठगिया प्रखर बिखरी लृटो चैन।
कान्हाँ तेरी बांसुरी मधुर बजै दिन रैन।।
ग्वाल सखा सब गैल मँह करौ दही हित रार।
मोय जानो घर सास रे!, देऊँगी काल्ह उधार।।
गगरी फोरी दधि लुटो छलिया नंदकिशोर।
बिसर गयी सुधि आपनी चित्त हरो चितचोर।।
कान्हाँ तेरी बाँसुरी रह रह कैं अचकाय।
विपिन बजै श्रवनन परै रग रग मद लहराय।।