विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन
रोते बिलखते घबराते हुए,
रखा पहला कदम विद्यालय में,
माँ की गोद छोड़ चल पड़े,
हम विद्यार्थी जीवन के कार्यालय में।
टीम-टीम चमकती आँखें,
मीठी सी प्यारी बातें थीं,
शिक्षक ने पीठ थपथपाई,
विद्यार्थी जीवन की पहली राह दिखलाई।
बदला हुआ सा जीवन था,
मन में उल्लास नहीं कम था,
प्राथमिक स्तर बस जानो तो,
विद्यार्थी जीवन का उद्गम था।
घर और विद्यालय के बीच,
प्रसन्ता भरा आलम था,
चल पड़े हम अगले स्तर की ओर,
यहाँ की थी व्यथा घनघोर।
नाना विचारों ने मन को घेरा था,
अनुसाशन का कठोर पहरा था,
जाने कितनी लाचारी थी,
सामने बोर्ड की तैयारी थी।
बोर्ड का विचार दिल दहलाता था,
बाहरी चकाचौंध मन बहकाता था.
फिर से शिक्षक ने जादू फैलाया,
हमको सुंदर भविष्य दिखलाया।
बोला इस पथ से ना भागो तुम,
नींद चैन को त्यागो तुम,
कौए सी चेष्टा और बगुले सा ध्यान लगाओ,
घर की चिंता छोड़, अल्पहार पे आओ।
मंजिल को मन में ठानो,
बाधाओं को तिनके समान जानो,
इस मूलमंत्र से जीवन का शंखनाद करो,
सफलता पूर्वक बैतरणी पार करो।
आज जीवन के इस शिखर पर खड़े हो,
पीछे पलट के मैंने देखा जो,
विद्यार्थी जीवन की झलक दी दिखलाई,
आँखे मेरी जाने क्यूँ भर आईं।
आज जैसा भी मेरा जीवन है,
दिखे इसमें विद्यार्थी जीवन की परछाई।।