विद्यालय
विद्यालय
विद्यालय के वो दिन सुहाने
जीवन का सबसे था खास
करके हम सब खुब बहाने
करते थे मस्ती की तलाश
कभी खेल खेल में सहपाठी से
हो जाती थी खुब लड़ाई
शिक्षक से फिर पर जाती थी
धम धम करते खुब पिटाई
विद्यालय जब हम देर से जाते
शिक्षक होते थे आग बबूला
दिल करता की भाग ही जाये
कही दूर पूरे दिन बिताये
किसी कड़े शिक्षक की घंटी
लगती थी जब विद्यालय में
चुपके से हम भागते थे
देर लगाते थे पानी पीने में
एन सी सी की मस्ती कभी
तो कभी नृत्य का आलम होता
कैम्प का आयोजन कभी
तो कभी परीक्षा भारी होता
वो विद्यालय के दोस्त पुराने
दिल करता वो दिन दुहराने
काश वो दिन विद्यालय के
फिर से जीवन मे आ जाये