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उसकी माया

उसकी माया

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ज़िन्दगी की जद्दोजहद में

ये किस मुकाम पर

आ गया हूँ मैं !


लगता है ऐसा मुझे

दुखों को बहुत

करीब से भा गया हूँ मैं।


कभी सुखों के सागर में

गोते लगवाता है

कभी ग़मों की मझधार में

डुबाता है।


कभी आँसुओं में भी

मुझे मुस्कान देता है

कभी बीच हँसी में भी

मुझे रुलाता है।


मैं मूर्ख उसकी माया

समझ नहीं पाता हूँ

हर तरक्की को

अपनी करनी बताता हूँ।।


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