जागो, जागो, जागो !
जागो, जागो, जागो !
नफ़रत
कितनी भरी है
दुश्मनों के सीने में !
करते हैं
खुले आम कत्ल
चलाते है गोलियाँ,
करते है छलनी
इंसानियत की छातियाँ।
देखती रह जाती है पुलिस-
खुले आम
कातिल मनाते हैं खुशियाँ..
क्या यही है मेरा देश ?
क्या मर गई है हिम्मत ?
क्या मर चुके है हम ?
हो जाएँगे खतम-
इस तरह एक दिन?
जागो, जागो, जागो !
तुम भी भर दो
दुश्मन की छातियों में
बंदूक का लोहा।
बरसा दो अपने
जुनून का कहर।
जब तक नहीं लड़ेंगे हम,
नहीं जी पाएँगे
अपने ही देश में।
जागो, जागो, जागो !
दुश्मनों का करने को मुँह बंद,
पोतने को उनके चेहरे पर कालिख,
जागो, जागो, जागो !
कब तक तुम सोओगे ?
कब तक पड़े रहोगे
आँखों को मीचे !
अब तो हथियार होगा उठाना,
जंग का बिगुल होगा बजाना,
कब तक सहोगे तुम कायर बन ?
जागो, जागो, जागो !
जागो तुम जागो।