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Mukesh Kumar Goel

Fantasy

4  

Mukesh Kumar Goel

Fantasy

मूर्तिकार

मूर्तिकार

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बनाता हूँ मैं,

भगवान की मूर्तियां

सुंदर से सुंदर बने,

कोशिश यही होती है मेरी।

बड़े ध्यान से,

बड़े चाव से,

करता हूँ पूरी।

मैं, हरेक मूरत को।

मुझे ये लालच नहीं

खूब मुझे धन मिले,

ये करता हूँ मैं

उसे पाने की धुन में ।

शायद कभी

उसकी कृपा दृष्टि

हो मुझ पर।

शायद इसी बहाने,

तर जाऊँ मैं भी

भव सागर पार।

क्योंकि मैं हूँ

एक मूर्तिकार।

कोई लिखता है,

भजन कहानियां

कोई लिखता है

प्रेम दीवानिया।

मैं पत्थर पर लिखता हूँ

उसकी मेहरबानियां।



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