बिछड़न !
बिछड़न !
1 min
388
तुम्हारे नाम से
आज भी
धड़क उठता है
दिल !
रोम-रोम में
बसी तुम्हारी यादें,
बहका देती हैं
मन को मेरे।
बीता एक लम्बा अरसा-
नहीं देखा है तुम्हें !
नहीं मिले हैं हम-
पर आज भी,
ताज़ा है वो-
पिछली मुलाकात-
जब देखता रहा था मैं,
मंदिर के पास वाले मोड़ तक-
फ़िर ओझल हो गईं तुम !
एक बार मुड़ते हुए-
देखा था मुड़ कर तुमने !
पर दूर के फासले से
न देख पाई तुम-
मेरी आँखों में बसी
वो तुम्हारी चाहत
जो आज भी बरकरार है-
तुमको एक बार
फ़िर से देखने को,
फ़िर से एक मुलाकात को !