STORYMIRROR

Mukesh Kumar Goel

Romance

4  

Mukesh Kumar Goel

Romance

बिछड़न !

बिछड़न !

1 min
377

तुम्हारे नाम से

आज भी 

धड़क उठता है

दिल !

रोम-रोम में

बसी तुम्हारी यादें,

बहका देती हैं

मन को मेरे।

बीता एक लम्बा अरसा-

नहीं देखा है तुम्हें !

नहीं मिले हैं हम-

पर आज भी,

ताज़ा है वो-

पिछली मुलाकात-

जब देखता रहा था मैं,

मंदिर के पास वाले मोड़ तक-

फ़िर ओझल हो गईं तुम !

एक बार मुड़ते हुए-

देखा था मुड़ कर तुमने !

पर दूर के फासले से

न देख पाई तुम-

मेरी आँखों में बसी

वो तुम्हारी चाहत

जो आज भी बरकरार है-

तुमको एक बार

फ़िर से देखने को,

फ़िर से एक मुलाकात को !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance