मैं मूर्ख उसकी माया समझ नहीं पाता हूँ हर तरक्की को अपनी करनी बताता हूँ। मैं मूर्ख उसकी माया समझ नहीं पाता हूँ हर तरक्की को अपनी करनी बताता हूँ।
श्रद्धा सुमन अर्पित करते जल में गोते खूब लगाए श्रद्धा सुमन अर्पित करते जल में गोते खूब लगाए
नीले सिंदूरी अंबर पर क्षितिज के उस छोर को तकना चाहती हूं नीले सिंदूरी अंबर पर क्षितिज के उस छोर को तकना चाहती हूं
सोचते सोचते फिर शब्दों ने सुलझा दिया मन से निकली भाषा फिर शब्दों ने कविता बना दिया। सोचते सोचते फिर शब्दों ने सुलझा दिया मन से निकली भाषा फिर शब्दों ने कविता ब...
अपने हिस्से का प्रेम मत लुटाइए थोड़ा थोड़ा प्रेम खुद पर भी बरसाइए, अपने हिस्से का प्रेम मत लुटाइए थोड़ा थोड़ा प्रेम खुद पर भी बरसाइए,
एक दिन तुम्हारा भी नाम होगा, तुम्हारा भी सत्कार होगा, एक दिन तुम्हारा भी नाम होगा, तुम्हारा भी सत्कार होगा,