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Shweta Rani Dwivedi

Action Inspirational

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Shweta Rani Dwivedi

Action Inspirational

शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए

शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए

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शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

कभी सोचा यह लिखें कभी सोचा वह लिखें

कभी अपने ही समझ में हम उलझ के रह गए।

 शब्दों के संसार में हम उलझ के रह गए,

कभी खूबसूरत शब्दों से खेलते हम रह गए।

 शब्दों के संसार में हम उलझ के रह गए,

शब्दों के मोती से लड़ी जो बनाते हम रह गए।

 

शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

शब्दों के विशाल सागर गोते हम खाने लगे

जब ना समझ में आया कुछ हम उसमें ही

बह कर रह गए ।

 शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

सोचते सोचते फिर शब्दों ने सुलझा दिया

मन से निकली भाषा फिर शब्दों ने कविता बना दिया।

 

शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

सुलझाते- सुलझाते होश ना रहा

हम पंक्ति पद कहते रह गए ।

 शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

मातृभाषा कविता की मीठी तान बनी

तब हम उसे गाते रह गए ।

 शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

मातृभाषा सोचे हम लिखते मातृभाषा है

इस मातृभाषा पर गर्व करते रह गए ।

 

शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

कभी तो सोचे क्या लिखेंगे,

और कभी बिना सोचे बिना ही शब्द प्रस्फुटित हो गए।

 शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

कभी तो मन के बवंडर को कलम से लिख कर

पन्नों पर उतारते गए 

 शब्दों के संसार में हम उलझ कर रह गए,

कविता के बिना हम अधूरे थे

कविता लिखकर पूरे से हम हो गए।

 


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