मैं उड़ना चाहती हूं
मैं उड़ना चाहती हूं
सूर्य की लालिमा को पंखों से छूकर कर
अलस भोर पंछियों की ऊर्जा में नहाकर
ओस की बूंदों को आंचल में समेटकर
अम्बर से दूब पर गिराना चाहती हूं
हां मैं उड़ना चाहती हूं
आसमानी सुनहरे अंबर पर
उज्जवल बादलों से चित्र बना
उन कुनकुने बादलों पर
सुस्ताना चाहती हूं
हां मैं उड़ना चाहती हूं
नीले सिंदूरी अंबर पर
क्षितिज के उस छोर को
तकना चाहती हूं
संध्या के रंगों में गोते लगाते
हां मैं उड़ना चाहती हूं।
निशा की गहराती चादर पर
शुभ्र धवल पंछियों की
पंक्ति संग उड़ना चाहती हूं
तारों की झिलमिल आंगन में
उन्मुक्त कुलांचे भरना चाहती हूं
ध्रुव तारे को छूने की चाह में
हां मैं उड़ना चाहती हूं
