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Dr Sangeeta Tomar

Inspirational

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Dr Sangeeta Tomar

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उड़ानों के पंख

उड़ानों के पंख

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ऐक्सिडेंट के बाद कुहू की सहेलियां मिलने आई। उदास कुहू ने उनसे कहा -"तुम सब कितनी  भाग्यशाली हो, तुम  सब स्कूल जा सकती हो, घूम सकती हो, खेल सकती हो। लोग तुम्हें घूरते नहीं हैं, और ना ही तुम पर दया  करते है। 

सौम्या बोली - हम नहीं तुम भाग्यशाली हो जो इतनी भयावह दुर्घटना से भी सकुशल बच कर निकल आई हो।" अब यह नया जीवन जो तुम्हें मिला है, उसे अवसाद से ग्रस्त होकर बर्बाद मत करो।"

 पूजा ने कहा- ऐसा कौन सा काम है जो तुम नहीं कर सकती हो। ऑटोमेटिक व्हीलचेयर है तुम्हारे पास। तुम रोज स्कूल आ सकती हो।अपना सारा काम स्वयं संभाल सकती हो।" 

 छवि ने कहा-"तुम इतना अच्छा शतरंज खेलती हो। तुम वो अब भी कर सकती हो। चलो कल से फिर  अभ्यास शुरू करते हैं।  दो महीने बाद शतरंज का टूर्नामेंट है। इस बार तो गरिमा भी तुम्हारे साथ भाग लेगी।"

 पूजा बोली- हम लोग  रोज़ श्याम पार्क में मिलेंगे, गॉसिप करेंगे, जैसे हम पहले करते थे।कुछ भी  तो नहीं बदला है।"  

"और हां हम तुम पर बिल्कुल दया नहीं करने वाले हैं, खासकर तुम्हारी टांग खींचने में।  सारी सहेलियों  खिलखिलाने लगी।


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