उसके नाम से दिल आज भी धड़क उठता
उसके नाम से दिल आज भी धड़क उठता
बेशर्मी कि हर हद, पार कर गये वो...
ज़ब मेरे दिल पे छुरी से, वार कर गये वो...
बेपनाह मोहब्बत का, दिलासा देते थे कभी...
एक पल में ही सब, शर्मसार कर गये वो...
फ़िर भी उन्हें अपना बनाने को, मन बार-बार कहता हैं...
उसके नाम से दिल आज भी धड़क उठता हैं...!
साथ में बिताये वो पल, भूल नहीं पाते हैं...
मोहब्बत के वो किस्से, अब ढूंढ नहीं पाते हैं...
अपना सा लगता था, जब उनकी बांहों में सोते थे...
जरा सा भी ग़म हो मुझे, तो वो भी रोते थे...
बड़ा पवित्र रिश्ता था, हम दोनों में...
ना वो हमसे अकेला होते थे, ना हम उनसे अकेला होते थे...
उन्हें अपना बनाने को, मन बार-बार कहता हैं...
उसके नाम से दिल आज भी धड़क उठता हैं...!