तू ही मेरी चाहत
तू ही मेरी चाहत
पाई जब इक झलक तेरी
दीवाना मैं उस पल हुआ हूँ।
देख तेरी सादगी फिर
मैं तो तेरा कायल हुआ हूँ।
सुकून नहीं न करार मुझे
तेरे ख्यालों में ही डूबा रहूँ।
जब से देखा ये चेहरा तेरा
मैं तो तबसे घायल हुआ हूँ।
तेरे नाम अब अपनी मैं
हर सुबह शाम करता हूँ।
अपने सपनों का मैं अब
तुझे ही मुकाम करता हूँ।
न खोना चाहूँ मैं तुझे
जिंदगी के किसी मोड़ पर
अपनी ये जिंदगी अब मैं
तेरे ही नाम करता हूँ।
देखकर खुश तुझे अपने
दिल को सुकून मिलता है।
तेरी चाहत में मुझे अब
एक नया जुनून मिलता है।
खिलखिलाती धूप सी तू
मचलती है मुझमें हर कहीं
सूरजमुखी सा मुझे अब
तेरा ही प्रसून मिलता है।
आजा तू जल्दी से अब
मुझमें खुद को घुल जाने दे।
रंगत तेरी चाहतों की
मुझमें अब मिल जाने दे।
बेकरारी बढ़ रही है मेरी
तेरी राह तक रहा हूँ।
अपनी सारी तमन्नाओं को
खुल के आज मुस्कुराने दे।।