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Rajiv Jiya Kumar

Romance Fantasy

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Rajiv Jiya Kumar

Romance Fantasy

तुम जन्नत मेरी

तुम जन्नत मेरी

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इक सुहानी सी 

कही गई जां भाती कहानी

सजी इक जन्नत की गुड़िया 

भाए हर पल दिल को

वह नजाकत की रानी,

उठी निगाह मुझ पर

देती उमंग आमंत्रण की रवानी


खिलखिलाए लब

जुबां मौन

पर बोल जाती हैं आँखें

प्रीत की अनसुनी इक कहानी,

अंग अंंग की झलक

दंग करती, रूप की यह बानगी

मदमाती चाल 

छलकती यौवन की चाशनी,


घुल तुम में रह जाए 

सुनो न सनम

तुम जिगर की कामिनी

ख्वाब तुम्ही जन्मो की

आगोश तेरा भाए

सिमट यही रूक जाए

तुम जन्नत, तुम्ही मेरी जामिनी।।

     



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