तुम बिन
तुम बिन
आँखों से मेरी जज्बात बह निकले
मुद्दतों बाद जब वो हमसे मिले l
गुजरे जब भी वो रहगुजर से मेरी
मुझे रुसवाई और ताने ही मिले l
रुके नहीं हम और न ही, रोक सके
एक बार फिर पहचाने अजनबी से मिले l
खोकर दुनिया की भीड़ में भूल उनको गए
आज फिर जख्म ताजा ... पुराने हो गए l
दिल की लगी को कह दिल्लगी मुस्करा वो दिए
जिनके लिए तकदीर से हम लड़ गए l
आये हैं, मेरे जनाजे पर वो यूँ सज -सँवर कर,
जीने को दिल चाहता है, अब तो मरकर !
ज़िंदा रहकर भी कहाँ जिन्दा हूँ तुम बिन
करके क़त्ल अरमानों का ,तुम मुस्करा दिए l
तड़प दिल की क्या है यह न पूछिए
अब जी न सकेंगे तुम बिन लौट आइये l
आज वो चाँद भी गमजदा सा लगा
उसको मेरे चाँद का दीदार जो न हुआ l
महफ़िल में ढूंढते हैं तन्हाई में ढूंढते है
खो गए हैं इस तरह तुझमें खुद को ढूंढते हैं l
कुछ शिकवे कर कोई शिकायत कर
यूँ खामो
शियों से मुझको लहूलुहान न कर l
अधूरे ख़्वाबों को मुकम्मल जहां मिल जाए
जी उठूं मरकर भी जो तू एक बार मुस्कराये l
आँखों में मेरी तेरा ही चेहरा मिलेगा
जब भी उठाओगे आइना नजर हम ही आएंगे l
रूठकर जाने वाले पलटकर तो देख ज़रा
छीनकर दिल मेरा ज़िंदा लाश बनाकर न जा l
तू जर्रे जर्रे में बसा है, दिल चीज क्या है
क़यामत आने को है कुछ खौफ तो खा l
अपनी मुस्कराहटों की चादर में लपेटकर
चले गए तुम रोता हुआ इस दिल को छोड़कर l
इजहारे दिल मेरे इस दिल में ही रह गया
दुनिया की भीड़ में वो न जाने कहाँ खो गया l
लौट आओ जिस्म से जान जुड़ा होने से पहले
वरना रुसवाई मासूम मोहब्बत की होगी l
मेरी आँखों में जो अश्क बहते हैं
बयान एक दर्द भरी कहानी करते हैं l
आज काजल की धार भी भीगी सी है
तेरी जुदाई ने रुला जो इसको दिया l