प्रियतमा
प्रियतमा
तुम्हारी और मेरी बातें
दोनों के बीच ही रहने दो
सार्वजिक न करो
कि ऐरा गैरा देखकर
मौका घुसने
की फिराक में लग
जाए हमारी प्यारी
सी बनाई
स्वर्ग सी इस
दुनिया में
और बीज बो
जाए अगलाव
और बिखराव का
देखो
वह चाँद से
बात करती हुई
चकोर
त्याग देती है
जीवन
कभी बताया चाँद
ने कि क्या
की दोनों ने
गुफ्तगू
समुद्र में उठती एक
लहर उछलकर
जा गिरी
किनारे पर
और सूख
गई
उसने कोई
शिकवा
तो नहीं किया
समुद्र से
रिश्ता है
हमारा सालों से
सींचा
वटवृक्ष की तरह
यूँ दिखाकर जड़ें
उसकी खोखला न
करो ..प्रियतमा /प्रियतम