ए ...दिल
ए ...दिल
एतराज बोलने पर नहीं न बोलने पर करिए
कहीं समेट न ले सन्नाटा गुफ्तगू करते रहिए।
हाथ किसी का डर से कभी नहीं दिल से पकडिये
और फिर ताउम्र सुख दुख की छाँव में साथ रहिए।
साथ जाएगा न शरीर भी गरूर किस पर करिए
काम आ सको एक दूसरे के भावना यह रखिए।
बनी हो बाती गर दिए की तो साथ साथ जलिए
फिर क्या गिला और शिकवा बेसबब मुस्काइये।
दिखाने क़ो हया इस जहाँ क़ो न घूँघट ओढिये
बचाकर पानी आँखों में पर्दा पलकों से कीजिए।
कर नहीं सकते गैरों के गम कम अफसोस न करिए
जले पर छिड़क कर नमक कुटिल मुस्कान न रखिए।