ख़्वाब
ख़्वाब
आँखों के झरोखों से कोई
छिप -छिप कर देखता है
शायद यह कोई ख़्वाब है मेरा
दिन-रात सपने सुहाने दिखाता है
अभी बहुत दूर जाना है तुझे
याद मुझ को हर पल दिलाता है
अपनी तलाश में भटकी हूँ वर्षों
अब रौशनी का बिन्दु चमकता है
पार पाकर ठोकरों को पहुँचे हैं कदम यहां
पर ,सबको आसान जो सफर दिखता है l
अभी कण भर ही तो निखरी हूँ
मंज़िल का अभी लम्बा रास्ता है l