सब सँवार दूंगी
सब सँवार दूंगी
ए जिंदगी यूँ इम्तिहान न ले मेरा
तेरे हर सवाल का जवाब दूंगी l
वक्त आने तो दे ज़रा एक बार
हर इम्तिहान पास कर लुँगी l
शिकवा शिकायतों में रखा है क्या
मैं खुद शिकायत से पार पा लुँगी l
डरायेंगी क्या लहरें मजधार की मुझे
हौसले की पतवार से पार पा लुँगी l
तूफानों को आने तो दो ज़रा
अपनी मुस्कराहटों से हरा मैं दूंगी l
आई है मुसीबत चमन पर तो क्या
गुलजार अपनी मेहनत से मैं कर लुँगी l
मैं कोई गुजरता लम्हा तो नहीं
मिटकर भी तुमको याद मैं आऊँगी l