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Vandana Singh

Tragedy

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Vandana Singh

Tragedy

टूट रहा है

टूट रहा है

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जो रहा नहीं

वो था कभी

और जो है अभी

वो भी मेरे

अहम् के संग

टूट रहा है

दिनभर

रातभर

जो मुझे नश्तर

चुभोता

वो संगी अब

रहा नहीं

टूटे हर ख्वाबों के

संग

बीता नहीं कोई भी

पल

और जो बीत रहा है

वो भी मेरे भ्रम के संग

टूट रहा है।


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