तन्हा
तन्हा
काश तुम समझते
नहीं आसान होता
वापस लौटना
समय, ज़िद्द, ख़ामोशी
इन सबके साथ फिर
समय से यूँ मिलना …
दिल की जगह
ऐसे दिमाग लगने के बाद
मुश्किल बहकना..
आंसू , दर्द , फीकी मुस्कान
टूटे हौसलों को वापस
फिर से यूँ समेटना…
बस में अब कुछ नहीं
कि अब बस में सब कुछ
तन्हाई से क्या डरना….
समय बदला है
शायद मैं और तुम भी
सच से नहीं मुकरना ……
हाथ छोड़ने के बाद
बीते समय की याद
एहसासो से उलझना ……
जानती हूँ कि नहीं मरते
कभी प्यार के एहसास
दफन हो जाते सीने में……
कि समय गुजरने के बाद…
समय भी वो समय नहीं देता…
ज़िंदगी के फ़ासलो से यूँ ही गुज़रना…
मैं यकीं खुद का….
तुमसे कुछ नहीं कहना…
ख़ामोशी से अब तन्हा है चलना…..!!