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Prashant Kaul

Romance Tragedy

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Prashant Kaul

Romance Tragedy

तेरी मेरी कहानी ।।

तेरी मेरी कहानी ।।

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याद तो होगा तुम्हें 

अभी इस मार्च की ही तो बात थी


तुम खोई थी अपनी ही दुनिया में 

और मैं खो गया था तुममें

मुलाकातें कुछ ज़्यादा नहीं हुई थी

हमारी बस एक या दो

पर यूं लगने लगा था मानो जेसे जन्मों से ये साथ हो


इतना करीब से तुम्हारी दुनिया को

उन दिनों देखा जैसे वो अपनी ही हो

तुम कभी जब रूठ जाती उस दुनिया से

तो यूं लगता कि हम साथ में नई दुनिया बना लें


फिर मार्च के बाद मुलाकाते बंद हो गई 

पर बातें जारी रही

तुम्हारी कहानियों में मेरा ज़िक्र होने लगा था

और मेरी कहानी जिसकी नायिका तुम थी का आगाज़

तुम्हारे साथ खर्च किए वो पल

जीवन भर की पूंजी लगने लगे थे


दिल में तुम्हारे कुछ बात थी मेरे लिए

जो तुम्हारे बिना कहे मैं जान गया था

शायद इसलिए क्योंकि तुम्हारे हर इशारे को

अच्छे से पहचान गया था


फिर एक दिन चारों और काले बादल छाने लगे

अंधेरा इतना कि परछाई को भी अपने अंदर समा ले

खो गए थे हम उस अंधेरे में कहीं

बातें करना भी अब मुमकिन ना था


शायद मिल पाएं, कहीं और किसी जहां में फिर से

तो उन इशारों को लफ़्ज़ों की जुबां दे दो।


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