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Prashant Kaul

Abstract

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Prashant Kaul

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आज की नारी

आज की नारी

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कुछ ज्यादा बातें है करती 

पर जब भी है करती दिल से है करती


थोड़ा लड़कपन में है चलती 

पर उन डगमगाए कदमों को

संभाल है लेती


दर्द से तो वो भी है कहराती

पर मां बनने की खातिर

सब कुछ है सह जाती


दिल में मासूमियत है रखती

और आ जाए अगर अपने पे तो

शक्ति का रूप धारण है करती


दिल की हो अगर कोई बात 

तो आंखों से ज्यादा है समझाती

ठान ले जो एक बार 

तो हर चुनौती छोटी है पड़ जाती


कम किसी से ना समझना तुम

क्योंकि मजबूत, दृढ़ निश्चय वाली 

ये है आज की नारी 

ये है आज की नारी।


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