STORYMIRROR

Prashant Kaul

Romance

3  

Prashant Kaul

Romance

तेरे लिए

तेरे लिए

1 min
523


कुछ लिखना चाहता था फिर से आज मैं तेरे लिए

तू अगर पास होती तो शायद अल्फ़ाज़ों को पन्नों पर उतार भी देता


जाने क्यों अब ख्याल आते ही नहीं

क्या ये तेरे चले जाने का असर है 

या फिर इसलिए कि तू ही थी मेरे ज़ेहन में


अब बस तेरे चले जाने का दर्द है

दर्द .. दर्द भी ऐसा जो सब भुला दे

बस अगर कुछ याद है तो वो आखरी मुलाकात


तेरी वो झुकी नज़र और लाल लिबास

बिना एक लफ्ज़ कहे, उस दिन

सब कह दिया था तूने मुझसे


आज हिम्मत करके फिर कुछ लिखा था तेरे लिए

पर जाने क्यों पन्नों पर छपे मेरे ये अल्फाज़

लाल धब्बों से मालूम पड़ते हैं ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance