तेरे लिए
तेरे लिए
कुछ लिखना चाहता था फिर से आज मैं तेरे लिए
तू अगर पास होती तो शायद अल्फ़ाज़ों को पन्नों पर उतार भी देता
जाने क्यों अब ख्याल आते ही नहीं
क्या ये तेरे चले जाने का असर है
या फिर इसलिए कि तू ही थी मेरे ज़ेहन में
अब बस तेरे चले जाने का दर्द है
दर्द .. दर्द भी ऐसा जो सब भुला दे
बस अगर कुछ याद है तो वो आखरी मुलाकात
तेरी वो झुकी नज़र और लाल लिबास
बिना एक लफ्ज़ कहे, उस दिन
सब कह दिया था तूने मुझसे
आज हिम्मत करके फिर कुछ लिखा था तेरे लिए
पर जाने क्यों पन्नों पर छपे मेरे ये अल्फाज़
लाल धब्बों से मालूम पड़ते हैं ।।