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Prashant Kaul

Abstract Inspirational

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Prashant Kaul

Abstract Inspirational

दिल का एक कोना है जहां डर बसता है

दिल का एक कोना है जहां डर बसता है

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दिल का एक कोना है जहां डर बसता है

कभी हावी हो जाता है दिलो दिमाग पर

कभी यूं ही परेशान करता है


किसी ने कुछ कह दिया तो सोच में पड़ जाता है

बेवजह कहानियां ज़हन में गड़ता है

दिल का एक कोना है जहां डर बसता है


बस्ती जो देखी नहीं उसमें ना बसने पे मलाल करता है

जिस रस्ते जाना नहीं उस ही रास्ते को क्यों बार बार तकता है

दिल का एक कोना है जहां डर बसता है


परेशान रहता है उस बात को लेकर जिसका कोई वजूद नहीं

बेकार के विवादों में उलझा सा रहता है

दिल का एक कोना है जहां डर बसता है


काश इसे कोई समझा पाता 

बहला पाता फुसला पाता

तो ये जहान कितना हसीन होता


फिर उस कोने में उम्मीदें होती,

ख्वाहिशें होती, इबादत होती..जिंदगी होती।


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