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Prashant Kaul

Romance

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Prashant Kaul

Romance

काश ऐसा हो पाता

काश ऐसा हो पाता

1 min
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काश! ऐसा हो पाता

वो पहले जैसी तुम हो जाती और मैं पहले सा हो पाता,


वो तुम्हारा मेरी हर बात पर यूं ही हंस देना

और मेरा तुम्हें घंटों यूं ही तकते रहना

वो कभी ना खत्म होने वाली बातें हमारी

और एक दूजे से दूर होने की तड़प को सहना,


वो मीठी मीठी तकरारें हमारी

और फोन पर बात करते-करते अश्कों का बहना

वो मेरा तेरे लिए गीत गुनगुनाना

और तेरा मुझे घंटों सुनते जाना,


वो तेरा मुझ पर बेबाक होकर हक जताना

और मेरा तेरी कही हर बात को यूं ही मान जाना

वो तेरा इकरार और मेरा इंकार

और फिर मेरा इकरार और तेरा इंकार,


वो बिना कहे एक दूजे की बात समझ जाना

और फिर आंखों के इशारे से तेरा मुझे सताना

वो छोटे दिन और लंबी रातें

और कई लम्हें कम पड़ जाएं ऐसी मुलाकातें,


काश! मिल पाते वो पहले जैसी तुम 

और पहले जैसा मैं ।।


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