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Shweta Jha

Drama

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Shweta Jha

Drama

तेरा होना

तेरा होना

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सुनो अजनबी

तुम मेरे होने लगे हो आहिस्ता आहिस्ता

वैसे की जैसे सुबह मंदिरों में

गायी जानेवाली आरती के स्वर

धीमे से घुल जाते अंत:करण में


कि जैसे दरगाह पर

गाए गए सूफीयाना संगीत

देते हैं सुकुन दिल को


सुनो ..

दे रहे तुम दस्तक यूँ

कि जैसे गहरी अंधेरी रात के बाद

देती है दस्तक सूरज की रोशनी

कि जैसे तपती हुई धरा पर

गिरती है पावस की बूंद पहली


सुनो

लगता है अब कि जैसे हो चुके हो मेरे तुम

गर है ऐसा ..

तो बस मेरे हो कर रहना मुझमें कुछ यूँ

कि जैसे स्मृतियां बस जाती हैं हृदय में

फूलों बंधकर रह जाती है उसकी सुगंध


ऐसे कि जैसे तीनों नदियाँ

बन एक जलधारा बस गई हैं संगम में


सुनो बस जाओ मुझमें ऐसे

कि जैसे कृष्ण बस गए थे

मीरा के रोम रोम में ...






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