STORYMIRROR

Ayushi Akanksha

Tragedy Others

4  

Ayushi Akanksha

Tragedy Others

स्वप्न

स्वप्न

2 mins
283

बीती रात्रि एक स्वप्न आया था

बादलों से भरा था आसमान

हर तरफ हर्ष ही हर्ष समाया था ।

उस क्षण भी ये नेत्र न जाने ढूंढ रहे थे किसे ॽॽ

उस खुशनुमा माहौल में भी

किसी के समीप न होने का दर्द छाया था ।

के एहसास नहीं कराया इस हृदय ने अपनी बात का 

और खो दिया उसे, जिसे अभी पूर्ण रूप से नहीं पाया था ,

वो यादें जो दी थी उसने, याद कर क्षण भर मुस्कान होंठों पर आई 

फिर आंसुओं ने झर लगाया था ।

हाथों की थिरकती उंगलियों ने भी

चाहत पूरी करने आंखों की 

हवाओं में इक चेहरा बनाया था,

बरस कर गिर रही थी जो बूंदें होंठों पर मेरे

उस पर भी उसी का नाम लिख आया था।

बालों का मेरे उन हवाओं की गति के साथ उड़ना 

उसकी कही एक शायरी याद दिलाई थी,  

काली सी उन घटाओं के बीच

चांद में एक नूर खिल आया है

यूं तो ये कायनात भी मेहरबान है हम पर 

जिसने हमारी चांदनी से नहीं

सीधा चाॅंद से मुलाकात मुकम्मल करवाया है ।

थिरक रहे पैरों ने मेरे उसकी मौजूदगी का झूठा संतोष जताया था,

के ठण्डी हवा के झोंके जब छू कर निकले मेरे बदन को

एहसास हुआ ऐसा जैसे उसका प्रेम संदेश आया था ।

धीरे धीरे अब ये एहसास हो आया था

के दूर कितना भी रह ले वो

साथ मेरे हर पल उसका साया था 

और यूं ही हर चीज़ में महसूस कर पा रही थी उसे 

मुझे तो उस शख्स से इश्क़ हो आया था ।


और एक पल को ख्याल भी ऐसे आते नहीं मेरे

फिर न जानूं ये स्वप्न क्यों आया था ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy